मप्र बनेगा देश का पहला राज्य,अमित शाह करेंगे मेडिकल कॉलेजों में हिंदी पाठ्यक्रम का शुभारंभ।
कीर्ति राणा
मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अब हिंदी में पढ़ाई और परीक्षा शुरु हो जाएगी।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नवाचारों में दर्ज हो रही इस उपलब्धि में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सेवानिवृत्त सह प्राध्यापक-हिंदी सेवी डॉ. मनोहर भंडारी का 31 वर्षों का संघर्ष है।मेडिकल एजुकेशन में हिंदी का सम्मान बढ़ाने वाला मप्र पहला राज्य होगा।तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के कार्यकाल में 31 साल पहले मेडिकल एजुकेशन में हिंदी में पढ़ाई के लिए पहल शुरु हुई थी, जो अब सफल होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खास तौर पर इस समारोह में भाग लेने रविवार को भोपाल आ रहे हैं। इसके बाद वे ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के जय विलास पैलेस में मेहमान होंगे।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सह प्राध्यापक पद से रिटायर डॉ. मनोहर भंडारी अपने इस काम को मिली सफलता से सही अर्थों में हिंदी सेवी साबित हुए हैं।तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को 28 अक्टूबर ‘91 को दिए पहले ज्ञापन में उन्होंने अनुरोध किया था कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में संभव नहीं हो तो एमजीएम मेडिकल कॉलेज से हिंदी में पढ़ाई और परीक्षा शुरु की जाए।1994 में तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह को, डॉ शंकर दयाल शर्मा, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को हिंदी में पढ़ाई संबंधी ज्ञापन दिए थे।
अहिंदी भाषी राष्ट्रपति ने ही दिखाई दिलचस्पी।
हिंदी जानने वाले शीर्ष नेताओं की अपेक्षा अहिंदी भाषी-तत्कालीन राष्ट्रपति वैंकटरमण ने जरूर डॉ. भंडारी के इस सुझाव में दिलचस्पी दिखलाई थी।उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश भी दिए थे कि हिंदी भाषी राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में पढ़ाई को लागू किया जाए।
तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री माखनलाल फोतेदार ने चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई हिंदी में कराने के निर्देश के साथ ही चिकित्सा शिक्षा समिति गठित कर प्रो मुकुल चंद्र पांडे को अध्यक्ष बनाया था। उन्होंने 135 पेजी रिपोर्ट भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी थी।अगस्त ‘91 में जब डॉ. भंडारी माखनलाल फोतेदार से मिले तो उन्होंने समिति रिपोर्ट को लागू करने का आश्वासन भी दिया, हुआ कुछ नहीं। इसके बाद दिल्ली की संस्था कर्म भारती के अध्यक्ष सुदन नेत्रपाल ने डॉ. भंडारी से पूरा मामला समझा और विभिन्न राज्यों में घूम कर केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी की जहां जो भाषा प्रचलित हो उस भाषा में मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई, किताबों का प्रकाशन, परीक्षा आदि कराई जाए।इस रिपोर्ट पर भी सरकार ने गौर नहीं किया।
अपने राजनीतिक गुरु पटवा का सपना पूरा करने वाले शिवराज के खाते में दर्ज होगी यह उपलब्धि।
यह भी संयोग है कि सुंदरलाल पटवा को शिवराज सिंह अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।स्व. पटवा ने मेडिकल कॉलेज में हिंदी भाषा में पढ़ाई का सपना देखा था। उनका वह ख्वाब पूरा करने का श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मिल रहा है।डॉ. भंडारी के 31 साल का संघर्ष रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा किए जाने वाले उदघाटन के बाद सफलता में बदल जाएगा।
हिन्दी में एमडी का शोध प्रबन्ध करने वाले मप्र के पहले डॉक्टर मनोहर भंडारी ने 1992 में हिन्दी में एमडी का शोध प्रबन्ध प्रस्तुत किया, यह प्रदेश में पहला अभिनव प्रयास था और देशभर में तीसरा I उनके इस प्रयास की पूरे देश के हिन्दी संगठनों ने प्रशंसा की, राष्ट्रीय स्तर पर अभिनंदन-सम्मान भी हुआ।तभी से चिकित्सा शिक्षा का माध्यम हिन्दी किए जाने हेतु वे प्रयासरत थे। वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विवि भोपाल द्वारा हिन्दी में एमबीबीएस का पाठ्यक्रम तय करने हेतु गठित समिति के वे सदस्य हैं।
खाचरौद नगर के स्व. शान्तिलाल भण्डारी उपाख्य कवि कलाकन्द सेठ के पुत्र और व्यवसायी जयंतीलाल भण्डारी और भाजपा नेता अनोखीलाल भण्डारी के अनुज डॉ. मनोहर भण्डारी ने संघर्षों के उपरान्त अपने स्नातकोत्तर अध्ययन [एमडी] का शोध प्रबन्ध 1992 में अपनीमातृभाषा में प्रस्तुत किया था I
डॉ. भंडारी एमबीबीएस, एमडी,पर्यावरण कार्यकर्ता, लेखक, चिन्तक, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इन्दौर के पूर्व अध्यक्ष, विद्यार्थी कल्याण समिति, शासकीय के राष्ट्रीय संयोजक, चिकित्सा शिक्षा प्रकोष्ठ, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के पदाधिकारी रहे हैं।