अफजल खान वध से जुड़े अनछुए पहलुओं पर केंद्रित कार्यक्रम 17 नवंबर को

  
Last Updated:  November 12, 2024 " 11:15 pm"

सानंद के मंच पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खंडवा रोड सभागृह में दी जाएगी कार्यक्रम की प्रस्तुति।

सानंद फुलोरा में ‘गोष्ट इथे संपत नाही, अफजलखान वध” कथाकथन कार्यक्रम आगामी 17 नवम्बर 2024, रविवार को स्थानीय देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागृह, खंडवा रोड, इंदौर पर शाम 05 बजे से होगा। कार्यक्रम सभी रसिक श्रोताओं के लिये निःशुल्क एवं खुला है।

सानंद न्यास के अध्यक्ष जयंत भिसे एवं मानद् सचिव संजीव वाविकर ने बताया कि ‘अफजल खान वध’ छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन ही नहीं, समकालीन भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है, जो हर भारतीय का मस्तक गर्व से ऊंचा कर देती है। बचपन से पोवाडे, कहानियाँ, उपन्यास, सिनेमा, नाटकं, गणेश उत्सव में होने वाले विविध कार्यक्रमों के जरिए पेश की जाने वाली यह घटना हर भारतीय खासकर मराठी भाषी व्यक्ति के लिए उसकी अस्मिता का प्रतीक है। हालांकि इस घटना के पहले और बाद का हिस्सा भी भी बेहद महत्तपूर्ण है, जिसके बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। अफलजखान कोन था, उसने स्वराज्य पर आक्रमण क्यों किया, छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस बडे संकट का सामना कैसे किया। और अंत में अफलजखान वध के बाद का घटनाक्रम क्या रहा..? इन सारी जिज्ञासाओं का समाधान ‘गोष्ट इथे संपत नहीं..अफ़जल खान वध’ कार्यक्रम के जरिए हो सकेगा। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत करने वाले कलाकार हैं, सारंग भोईरकर और सारंग मांडके। ये दोनों कलाकार बीते पंद्रह वर्षों से आय. टी. कंपनी में कार्यरत हैं। उन्होंने इस कथाकथन कार्यक्रम की 125 से अधिक प्रस्तुतियां दी हैं। कार्यक्रम के निर्माता हैं समीर हंपी एवं सत्यजीत धाडेकर। कार्यक्रम सभी के लिए खुला है।

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