इंदौर : ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सोया सम्मेलन के दौरान सोपा के चेयरमैन डॉ. डेविश जैन ने मीडियाकर्मियों के साथ सोया इंडस्ट्री के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को साझा करते हुए सरकार के सहयोग की अपेक्षा की।
खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत।
डॉ. डेविश जैन ने कहा कि भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी आयात करता है। इस स्थिति को बदलने की जरूरत है। पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता के नारे को हकीकत में ढालने के लिए जरूरी है की देश में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के साथ उसकी प्रोसेसिंग पर ध्यान दिया जाए। इसका लाभ किसानों के साथ उद्योगपतियों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं को होगा। आयात पर निर्भरता घटेगी तो देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भी बचेगी।
किसानों को गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराए सरकार।
सोपा चेयरमैन डॉ. जैन ने बताया कि सोयाबीन की 180 प्रजातियां विकसित हो चुकी हैं। जरूरत इस बात की है कि किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराया जाए। इससे उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ सोयामील की क्वालिटी में भी सुधार आएगा।
वायदा बाजार पर प्रतिबंध बरकरार रखा जाए।
सोपा चेयरमैन ने कहा कि सोया तेल के भाव वायदा बाजार के हवाले होने के कारण बीते वर्षों में उसके दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो गई थी। इसके चलते केंद्र सरकार ने सोया तेल के वायदा बाजार पर एक जनवरी 2022 से एक वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया। हमारी मांग है कि इस प्रतिबंध को बरकरार रखा जाए, ताकि भावों में स्थिरता बनी रहे।
आयात पर शुल्क बढ़ाए सरकार।
डॉ. डेविश जैन ने कहा कि खाद्य तेलों का कुल उत्पादन देश में 18 लाख टन के करीब होता है, 36 लाख टन का हम आयात करते हैं। सरकार ने बढ़ते भावों को देखते हुए खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। अब भाव कम होकर लगभग स्थिर हो गए हैं, ऐसे में जरूरी है कि सरकार देश में खाद्य तेलों के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के साथ आयात पर शुल्क पुनः बढ़ाकर तीस से पैंतीस फीसदी तक ले जाए।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिकने के लिए परिवहन खर्च की भरपाई करे सरकार।
सोपा चेयरमैन ने कहा कि भारतीय सोयामील इंडस्ट्री वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाती क्योंकि परिवहन खर्च के कारण उनकी लागत बढ़ जाती है। ऐसे में सरकार को चाहिए घरेलू परिवहन खर्च की भरपाई की दिशा में वो काम करें। इससे सोयामील का निर्यात बढ़ेगा और सरकार को भी ज्यादा राजस्व मिल सकेगा।
सोयामील प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत।
डॉ. जैन ने कहा सोयामील प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत है। हमारे नियमित भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम होती है। इससे शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। सोयामील का इस्तेमाल हम अपने आहार में ज्यादा करें तो हम कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं।
क्वालिटी से न हो समझौता।
सोपा के सचिव गिरीश मतलानी ने सोया तेल व अन्य सोया उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मापदंड बनाने पर दिया। उनका कहना था कि गुणवत्ता से समझौता करके कुछ लोग खराब क्वालिटी का उत्पाद बेच रहे हैं। सरकार इसपर सख्ती से रोक लगाए क्योंकि इससे लोगों के स्वास्थ्य को हानि पहुंच सकती है। क्वालिटी को लेकर मापदंड निर्धारित होने चाहिए। उन्होंने सोयाबीन का रकबा बढ़ाने के लिए बंजर जमीनों के उपयोग का भी सुझाव दिया।