इंदौर में दुनिया के सबसे बड़े प्रिवेंटिव हेल्थ केयर सर्वे में हुआ खुलासा।
‘हेल्थ ऑफ इंदौर’ नाम के लाइफ स्टाइल डिसीज सर्वे में 1 लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए।
सर्वे में 48% से लोगों की रिपोर्ट असामान्य, हो सकते हैं गंभीर बीमारियों के शिकार।
लाइफ स्टाइल से संबंधित आठ लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए।
सांसद सेवा संकल्प, सेंट्रल लैब, आईएमए एवं रेडक्रॉस, समाज का संयुक्त आयोजन।
पहले सर्वे में असामान्य रिपोर्ट वाले लोगों के एडवांस टेस्ट होंगे।
इंदौर में लाइफस्टाइल क्लिनिक बनेंगे
सांसद लालवानी ने कहा प्रिवेंटिव हेल्थ केयर में इंदौर को बनाएंगे रोल मॉडल।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री के साथ रिपोर्ट साझा करेंगे।
इंदौर : देश के स्वच्छतम शहर इंदौर को अब स्वस्थ इंदौर बनाने के लिए बड़ा अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि शहर में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का जो सर्वे हुआ है, उसके नतीजे चौंकाने वाले हैं।
एक लाख लोगों के किए गए विभिन्न टेस्ट।
इंदौर में प्रिवेंटिव हेल्थ केयर का अब तक का सबसे बड़ा सर्वे हुआ है। शहर में 1 लाख से ज्यादा लोगों के विभिन्न बीमारियों से जुड़े 8 लाख से ज़्यादा टेस्ट किए गए। पूरी दुनिया में लाइफ स्टाइल डिसीज का पहले से पता लगाने के लिए ये अब तक का सबसे बड़ा अभियान हैं। इसके नतीजे हमारी खानपान की आदतें और जीवन शैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। करीब 48 फीसदी लोगों की रिपोर्ट असामान्य पाई गई है, याने भविष्य में वे किसी न किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
इस सिलसिले में सांसद शंकर लालवानी की अगुवाई में विभिन्न समाजों, धर्मगुरुओं, व्यापारिक एसोसिएशन, आईएमए, जिला प्रशासन, नगर निगम, केंद्र एवं राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के साथ एक बड़ी बैठक आयोजित की गई। इस दौरान बीमारियों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए कार्ययोजना पर चर्चा की गई।
आधी आबादी लाइफस्टाइल जनित बीमारियों की जकड़ में..?
‘हेल्थ ऑफ इंदौर’ सर्वे में इंदौर के विभिन्न समाजों, आयु वर्गों, अलग-अलग इलाकों, विभिन्न आय वर्गों एवं महिला तथा पुरुषों का अध्ययन किया गया। कुल मिलाकर 1,00,113 लोगों के 8 बायोमैडिकल पैमानों पर टेस्ट किए गए। इसके नतीजों के मुताबिक इंदौर की लगभग आधी आबादी गंभीर लाइफ स्टाइल जनित बीमारियों का शिकार होने की कगार पर है। इस सर्वे में सम्मिलित 48% लोगों के एक या एक से अधिक टेस्ट की रिपोर्ट असामान्य पाई गई है।
साढ़े नौ फीसदी के खून में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा।
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से 9.5% का ब्लड ग्लूकोज असामान्य रूप से ज्यादा था जो यह दर्शाता है यह आबादी डायबिटीज या प्रीडायबिटीज स्टेज पर है।
17 फीसदी में बढ़ा हुआ था कोलेस्ट्रॉल।
इसी तरह सर्वेक्षण में सम्मिलित 17% लोगों का कोलेस्ट्रॉल असामान्य रूप से अधिक पाया गया। यह ह्रदय रोगों की तरफ जाने का संकेत है।
6 फीसदी लिवर की बीमारी से हो सकते हैं पीड़ित।
सर्वे में शामिल 6 प्रतिशत लोगों का एसजीपीटी असामान्य रूप से अधिक पाया गया। यह लीवर की बीमारियों की ओर संकेत करता है।
13 फीसदी की इम्यूनिटी कमजोर।
सर्वेक्षण के 13% सहभागियों में सीरम प्रोटीन असामान्य रूप से कम पाया गया जो खराब डाइट को दर्शाता है यानी इन नागरिकों की इम्युनिटी भी कम है।
5.85 प्रतिशत में गंभीर बीमारियों के लक्षण।
सर्वेक्षण में 5.85% लोगों में ग्लूकोस और कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़े हुए मिले हैं जो कि गंभीर बीमारियों का रुप ले सकता है।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में असामान्य लक्षण ज्यादा।
इस सर्वे में 51% पुरुष एवं 49% महिलाएं सम्मिलित थी। इस सर्वे की खास बात यह है कि ज्यादातर असामान्य मापदंड पुरुषों में मिले हैं यानी इंदौर की एक्टिवली वर्किंग आबादी को खतरा ज्यादा है।
मिडिल क्लास को खतरा सबसे ज्यादा।
सर्वे में एक और दिलचस्प बात यह पाई गई कि निम्न आय समूह, मध्य आय समूह एवं उच्च आय समूह में से मध्य आय समूह के रक्त के नमूनों में असामान्यता अधिक पाई गई। यानी मिडिल क्लास को लाइफ़स्टाइल डिसीज होने के खतरे सबसे ज्यादा है।
सबसे बड़ा प्रिवेंटिव हेल्थ केयर सर्वे।
सांसद शंकर लालवानी ने इस अभियान के बारे में बताया कि जब डॉ. विनीता कौठारी ने कहा कि इंदौर में लाइफस्टाइल संबंधित बीमारियां बढ़ रही है और इसका एक डिटेल सर्वे होना चाहिए, इसके बाद सांसद सेवा, संकल्प रेड क्रॉस, डॉ. विनीता कोठारी की संस्था और आईएमए के साथ मिलकर एक बड़े सर्वे की योजना बनी और एक लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए। इसमें आठ पैमानों पर किसी भी व्यक्ति को लाइफस्टाइल से संबंधित कोई बीमारी होने की आशंका का पता लगाया गया यानी यह अब तक किसी भी शहर में हुआ सबसे बड़ा प्रीवेंटिव हेल्थ केयर कैंपेन है।
सांसद लालवानी ने कहा कि इस सर्वे के नतीजों ने हमारी चिंता बढ़ा दी है क्योंकि करीब एक लाख लोगों का सैंपल साइज काफी बड़ा सैंपल साइज माना जाता है और 48% यानी लगभग आधी आबादी किसी ना किसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकती है। इसे रोकने के लिए हमें युद्ध स्तर पर मिलकर कार्ययोजना बनानी होगी।
लाइफस्टाइल बदलकर बचा जा सकता है बीमारियों से।
सर्वे के मुताबिक 31 से 40 एवं 40 से 50 साल की उम्र तक के लोगों में लाइफस्टाइल डीसीज सबसे ज्यादा देखने को मिली है यानी एक 31 साल के व्यक्ति के पास करीब करीब 10 से 15 साल का वक्त है कि वह अपनी लाइफस्टाइल को बदलकर इन बीमारियों से बच सकता है।
सांसद लालवानी ने बताया कि सर्वे के नतीजों से स्पष्ट है कि प्रिवेंटिव हेल्थ केयर अपना कर हम विभिन्न बीमारियों से ना सिर्फ बच सकते हैं बल्कि व्यक्ति, समाज एवं सरकार पर पड़ने वाले वाले खर्च से भी बचा जा सकता है।
सांसद लालवानी ने बताया कि इस सर्वे में सम्मिलित सभी 1 लाख से ज़्यादा लोगों के फोन नंबर हमारे पास हैं। हम उनको बुलाकर उनकी आगे केयर करेंगे। साथ ही, उनकी डिटेल को आधार कार्ड से जोड़कर हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। केंद्र सरकार की इस योजना के अंतर्गत नागरिक अपनी स्वास्थ्य सम्बन्धी रिपोर्ट को कहीं से भी एक्सेस कर पाएंगे।
लाइफस्टाइल डिसीज को लेकर बढ़ानी होगी जागरूकता।
कलेक्टर इलैया राजा टी ने इस सर्वे को प्रिवेंटिव हेल्थकेयर की दिशा में बड़ा कदम बताते हुए इंदौर में लाइफस्टाइल डिसीज के बारे में जागरुकता फैलाने पर जोर दिया। कलेक्टर ने कहा कि स्वच्छ इंदौर को स्वस्थ इंदौर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास करने की आवश्यकता है और हम इंदौर को एक रोल मॉडल के तौर पर डेवलप कर सकते हैं।
बोहरा समाज में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का खतरा सबसे कम।
सेंट्रल लैब की फाउंडर डॉ. विनीता कोठारी ने बताया कि साल 2012 में बोहरा समाज में लाइफस्टाइल डिसीज को लेकर सर्वे किया गया था, जिसमें एसजीपीटी, ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल आदि की स्थिति बेहद खराब थी। 2012 के सर्वे में बोहरा समाज के 60% लोगों का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ था, जिसके बाद समाज ने इस पर काम किया और 2022 के सर्वे में सिर्फ 13.8% लोगों का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ पाया गया। बाकी के पैमानों में भी बोहरा समाज के नतीजे बेहद सकारात्मक मिले हैं।
डॉ कोठारी ने बताया कि उनकी लैब में हुए टेस्ट के आंकड़ों पर जब नजर डाली यह समझ में आया कि इंदौर में लाइफस्टाइल से जुड़ी हुई बीमारियां बढ़ रही है और यही डाटा उन्होंने सांसद शंकर लालवानी के साथ शेयर किया जिसके बाद सांसद लालवानी की पहल पर आइएमए, रेड क्रॉस साथ आए और सांसद सेवा संकल्प के अंतर्गत बड़ी कार्ययोजना बनी।
सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि हम इंदौर में सभी काम मिलजुलकर करते हैं। इसीलिए विभिन्न समाजों, धर्मगुरुओं, व्यापारिक एसोसिएशन, आईएमएम, जिला प्रशासन के साथ यह बड़ी बैठक की है और इससे निपटने के लिए कार्ययोजना बनाई है। ये सर्वे रिपोर्ट केंद्र एवं राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा करेंगे। साथ ही, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के साथ भी जल्द ही बैठक करेंगे।
बैठक में पद्मश्री जनक पलटा, पद्मश्री सुशील दोषी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणुका जैन, समाजसेवी डॉ अनिल भंडारी, डॉ भरत रावत, डॉ संजय धानुका, डॉ दिव्या गुप्ता, शहर के गणमान्य नागरिकजन एवं प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे। साथ ही, बोहरा समाज, माहेश्वरी समाज, अग्रवाल समाज, जैन समाज, सिंधी समाज, सिख समाज के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन सांसद सेवा संकल्प के सावन लड्ढा ने किया।
बैठक में शामिल लोगों ने दिए सुझाव।
योगी मनोज जी – स्कूली शिक्षा में ही सही डाइट को शामिल करें। शरीर के लिए थकान और मन का विश्राम आवश्यक है।
डॉ भरत रावत – यूनिवर्सल डाइट हो और घर का बना खाना खाएं, वार्ड स्तर पर जांचें होनी चाहिए।
डॉ संजय धानुका – 18 वर्ष से ऊपर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की जांच हो। मैदे का उपयोग ना करें।
राजेश अग्रवाल – शहर में गार्डन के साथ-साथ खेल के मैदान भी बनाना ज़रुरी है।
अशोक डागा – सभी समाज अपने कैम्प लगाए।
दादू महाराज – मैदा, नमक और शक्कर का उपयोग कम किया जाए। बच्चों को शारीरिक श्रम के लिए प्रेरित करवाया जाए।