इंदौर ने रचा इतिहास, रंगों की बौछार में सराबोर होने उमड़ा जनसैलाब

  
Last Updated:  March 12, 2023 " 06:47 pm"

5 गेर व राधाकृष्ण फाग यात्रा में लाखों लोगों ने की शिरकत।

रंगों की बौछार से जमीं से आसमान तक छाई इंद्रधनुषी छटा।

इंदौर : धुलेंडी से ज्यादा रंगीन माहौल इंदौर में रंगपंचमी पर रहता है। इसका प्रमुख कारण है यहां से निकलने वाली गेर व फाग यात्राएं और उनमें लोगों की सहभागिता। 75 वर्षों की यह परंपरा अब इतनी परवान चढ़ चुकी है कि क्या आम, क्या खास सभी इनका हिस्सा बनने को लालयित रहते हैं। इस बार रंगपंचमी (रविवार 12 मार्च 2023) पर निकली गेर व फाग यात्राओं में तो जैसे समूचा शहर उमड़ पड़ा। रंग – गुलाल की ऐसी बरसात हुई कि जमीं से आसमान तक रंग बिखरे नजर आए। रंगों की बौछार से कोई भी अछूता नहीं रहा। मातृशक्ति ने भी गेर व फाग यात्रा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। एक अनुमान के मुताबिक करीब 5 लाख लोगों ने गेर व फाग यात्रा में भागीदारी निभाई।

5 गेर व एक फाग यात्रा ने समूचा माहौल बनाया इंद्रधनुषी।

कोरोना काल में रंगपंचमी की गेर नहीं निकल पाई थी। इस बार ऐसा कोई खौफ नहीं होने से लोगों का उत्साह चरम पर था। बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं सभी रंगों की बौछार में भीगने को बेताब थे।सुबह से ही लोग गेर व फाग यात्रा के निर्धारित स्थानों पर पहुंचने लगे थे। गेर मार्ग पर भी हुरियारों का भारी हुजूम इकठ्ठा हो चुका था। सबसे पहले टोरी कॉर्नर रंगपंचमी महोत्सव समिति की गेर निकली। गेर का यह 75 वा वर्ष है। टोरी कॉर्नर से प्रारंभ हुई इस गेर में डीजे की धुन पर युवा झूमते हुए चल रहे थे। टैंकरों से रंगों की बौछार की जा रही थी। ट्रैक्टर ट्रॉली में बैठक लोगों का अभिवादन करते डुप्लीकेट अमिताभ बच्चन इस गेर में आकर्षण का केंद्र रहे। दूसरी गेर रसिया कॉर्नर की थी। इस गेर का यह गोल्डन जुबली अर्थात 50 वा वर्ष है। इसके चलते आयोजकों में भी खासा उत्साह देखा गया। गेर की शुरुआत ओल्ड राजमोहल्ला स्थित हरिराम मंदिर से हुई। लहराते केसरिया ध्वज, बैंड, ढोल ताशे, डीजे की गूंज के बीच टैंकरों से मिसाइलों के जरिए करीब 100 फीट तक रंगों की बौछार की जा रही थी। इस गेर की खासियत ये रही कि सैकड़ों युवाओं ने हेलमेट पहनकर गाड़ी चलाते समय हेलमेट धारण करने का संदेश भी दिया।
तीसरी गेर मॉरल क्लब की छीपा बाखल से निकली। यह इस गेर का 49 वा वर्ष है। मुंबई से बुलाई गई ढोल ताशा पार्टी ने इस गेर की रंगत बढ़ा दी। टैंकरों पर लगी मिसाइलों से रगों की बौछार करती इस गेर ने माहौल को रंगारंग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
चौथी गेर संगम कॉर्नर चल समारोह समिति की थी। आयोजन के 68 वे वर्ष में बरसाने की लट्ठमार होली, राधा कृष्ण का रासरंग और बांके बिहारी के ढोल जैसे कई आकर्षण इस गेर में देखे गए।

इस बार इंदौर नगर निगम ने भी रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर की परंपरा में अपनी भागीदारी निभाई। महापौर पुष्यमित्र भार्गव, एमआईसी सदस्य, पार्षदगण और बीजेपी नेता गेर में शामिल हुए। रंगों की धमाल मचाने के साथ नगर निगम की इस गेर में शामिल रथ के जरिए स्वच्छता का संदेश भी दिया जा रहा था।

राधा – कृष्ण फाग यात्रा ने बिखेरे आध्यात्मिक उल्लास के रंग।

समय के साथ गेर में आई विकृति को दूर कर आम लोगों व मातृशक्ति की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 26 वर्ष पूर्व स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ ने हिंद रक्षक संगठन के बैनर तले राधा कृष्ण फाग यात्रा की शुरुआत की थी।अब वे नहीं हैं पर उनके द्वारा शुरू की गई यह फाग यात्रा रंगपंचमी की गेर का सबसे बड़ा आकर्षण बन गई है। नृसिंह बाजार स्थित बद्री नारायण मंदिर में राधा – कृष्ण की आरती कर फाग यात्रा की शुरुआत की गई। भगवा ध्वज वाहिनी की अगुवाई में निकली इस फाग यात्रा में गुलाल और टेसू के फूलों से निर्मित केसरिया रंग की बौछार की गई।राधा कृष्ण के भजन और फाग गीत गाती भजन मंडलियां फाग यात्रा में आध्यात्मिक उल्लास के रंग बिखेर रही थी। मातृशक्ति की सर्वाधिक मौजूदगी इसी फाग यात्रा में देखी गई। उनके लिए आयोजक संस्था के कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा घेरा बना रखा था ताकि कोई भी अवांछित घटना न हो।

राजवाड़ा रहा गेर का मिलन स्थल।

गेर व फाग यात्रा अलग – अलग स्थानों से भले ही निकली हों पर राजवाड़ा चौक ऐसा केंद्र बिंदु रहा जहां सब एक – दूसरे में समा गए। अपने – पराए, बड़ा – छोटा, गरीब – अमीर हर तरह का भेद यहां मिट गया था। लोग बस रंगों की मस्ती में डूबने का आनंद ले रहे थे। जहां तक नजर दौड़ाई जाए रंगों के गुबार, मदमस्त होकर झूमते लोग ही नजर आ रहे थे। रंगों की यह उल्लसित छटा लोगों की जिंदगी में भी उमंग, उत्साह और उम्मीद के नए रंग भर रही थी। सुबह 10 बजे से प्रारंभ हुआ रंगों की मस्ती का यह दौर दोपहर ढलने तक जारी रहा। जो लोग गेर व फाग यात्रा का हिस्सा नहीं बन पाए उन्होंने परिजनों, परिचितों और नाते – रिश्तेदारों के साथ रंगने – रंगाने का लुत्फ उठाया।

यूनेस्को भेजेंगे प्रस्ताव।

इंदौर की इस अनूठी गेर परंपरा को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल करवाने का प्रयास भी शासन – प्रशासन कर रहा है। बीते सालों के साथ इस साल का दस्तावेजीकरण कर मप्र शासन व केंद्र सरकार के माध्यम से इन्हें यूनेस्को तक पहुंचाया जाएगा।

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