इंदौर : आदर्श ग्राम सिर्फ सामुदायिक भवन, सड़क निर्माण से नहीं बनते, बल्कि नागरिकों का आदर्श आचरण गांव को आदर्श बनाता है। गांव से पलायन रुके, प्राकृतिक संपदा का संवर्धन हो और गांव का पैसा गांव में ही रहे इस बात के प्रयास होने चाहिए। यह बात ख्यात पर्यावरणविद और हाल ही में पद्मश्री से सम्मानित श्यामसुंदर पालीवाल ने कही। वे सोमवार को इंदौर प्रेस क्लब में मीडिया के साथियों के साथ अपनी सफलता की कहानी साझा कर रहे थे।
राजस्थान के राजसमंद जिले के पिपलांत्री मॉडल के जरिए देश और दुनिया में ग्राम विकास की आदर्श मिसाल कायम करने वाले पद्मश्री पालीवाल ने बताया कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो एक सरपंच अपनी पंचायत के गांव की तस्वीर बदल सकता है। सीमेंटेड सड़कें हों, सामुदायिक भवन हो, आंगनवाड़ी केंद्र हो, ये तमाम विकास कार्य जरूरी तो हैं, पर इसके लिए अन्य विभाग और जनप्रतिनिधि भी मदद कर सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ दिलाने का काम सरपंच ही कर सकते हैं।
बेटियों के प्रति बदला समाज का नजरिया।
पद्मश्री पालीवाल ने बताया कि गांव को प्राकृतिक रूप से इतना सुंदर बनाना कि वह हर तरह से संपन्न और समृद्ध हो इस सपने के साथ हमने अभियान शुरू किया। बेटी के जन्म पर गांव की सरकारी भूमि पर 111 पौधों का रोपण शुरू किया गया। बेटियां आत्मनिर्भर बने इसके लिए पंचायत और समाजसेवियों की सहयोग से आर्थिक मदद दी जाने लगी। इसका असर यह हुआ कि बेकार पड़ी सरकारी भूमि पर सघन वन खड़े हो गए। बेटियों ने वृक्षों को भाई मानकर उन्हें राखी बांधना शुरू कर दिया। रक्षाबंधन पर पिपलांत्री में दो दिवसीय बड़ा सार्वजनिक पर्व मनाया जाता है। इसका फायदा यह हुआ कि बेटियों के प्रति नागरिकों का नजरिया बदल गया।
मनरेगा से रोका पलायन।
श्यामसुंदर पालीवाल के अनुसार सघन पौधारोपण से जहां भू-जल स्तर 900 फीट नीचे तक चला गया था वह बढ़ गया। वन्य जीव, पक्षी लौटने लगे। मनरेगा जैसी योजनाओं के जरिए लोगों का पलायन रुका, वर्षा जल को सहेजने के लिए पंचायत ने स्टाप डेम, चेक डेम आदि के निर्माण हुए। एक अभियान ने बेटी, जमीन, जंगल, ग्रामीण पर्यटन और पर्यावरण सभी क्षेत्रों के संरक्षण और संवर्धन का काम कर दिया।
2007 में घोषित हुआ आदर्श ग्राम।
पद्मश्री पालीवाल ने बताया कि राजस्थान जैसे रेतीले इलाके में हमने योजनाबद्ध तरीके से पौधा रोपण किया है। इससे लोगों का आर्थिक स्तर भी सुधरा और वृक्ष और परिवारों के बीच आत्मीय रिश्ता बन गया। 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने पिपलांत्री को आदर्श ग्राम घोषित किया था। राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पिपलांत्री मॉडल को राजस्थान की हर पंचायत में लागू किए जाने के आदेश भी दिए थे। राज्य सरकार की तरफ से पिपलांत्री में 60 कमरों वाला एक ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किया गया है। आज देश के विभिन्न राज्यों एवं विदेशों से भी लोग हमारे आदर्श ग्राम में हुए कार्यों को देखने और अध्ययन करने के लिए आ रहे हैं। इन्हीं आगंतुको ने पिपलांत्री को एक पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित कर दिया।
प्रधानमंत्री की सराहना बड़ा ईनाम।
पद्मश्री सम्मान पंचायत के हर नागरिक का सम्मान है। राष्ट्रपति ने सम्मान देने से पूर्व पिपलांत्री की तारीफ की तो मुझे हर्ष के साथ हैरानी भी हुई कि देश के प्रथम नागरिक हमारे गांव से करीब से परिचित हैं। समारोह के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश के विभिन्न प्रांतों से आए सम्मानित विभूतियों से परिचित करवाया। यह मेरे लिए गौरव की बात थी। प्रधानमंत्री ने सभी से कहा कि पिपलांत्री में ग्राम विकास के हर पहलु पर काम हुआ है, इसका अनुसरण हर पंचायत को करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने मुझसे प्राकृतिक खेती पर काम करने को कहा है, जिस पर हमने प्लानिंग शुरू कर दी है।