इंदौर : आज का युवा सच जानना चाहता है। इतिहास की सच्चाई जानने का हक सबको है। मैं इसी काम में लगा हूं। धर्म की परिभाषा का भी गलत विश्लेषण किया गया है । एक माता का , पिता का , भाई का, बहन का और राजा पर जिस कार्य को ईमानदारी पूर्वक निभाने की जो जिम्मेदारी होती है, वही उसका धर्म भी होता है। ये विचार प्रख्यात राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक और वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अपने व्याख्यान के दौरान व्यक्त किए। वे ‘भारत का अमृतकाल अवसर और चुनौतियां’ विषय पर संबोधित कर रहे थे । संस्था तरुण मंच, ब्रह्मचेतना, महाराष्ट्र समाज , वैशाली नगर महाराष्ट्र मंडल , आध्यात्मिक साधना मंडल और 25 से भी अधिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा आयोजित गणेशोत्सव के अंतर्गत एमराल्ड हाईट्स स्कूल के ऑडिटोरियम में आयोजित इस व्याख्यान में पुष्पेंद्रजी को सुनने बड़ी तादाद में प्रबुद्धजन एकत्रित हुए थे।
आपने व्याख्यान की शुरुआत करते हुए पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि देश अब धीरे धीरे गुलामी की निशानियों से मुक्त हो रहा है। 8 सितंबर को दिल्ली में इंडिया गेट पर सुभाषचंद्र बोस की आदमकद प्रतिमा लगने जा रही है, जहां कभी जॉर्ज पंचम की मूर्ति लगी हुई थी। इतिहास की गलतियों से सबक लेते हुए जो राष्ट्र आगे बढ़ता है, वही महान राष्ट्र बन सकता है । हमने पिछले 65 वर्षों में इतिहास से सबक नहीं सीखा और गलतियां दोहराते रहे लेकिन 2014 में और उसके बाद 2019 में आम जनता ने जिस अपेक्षा से जाति, धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण के लिए वोट दिया था उनकी अपेक्षा अब पूर्ण हो रही है और एक नए राष्ट्र का निर्माण हो रहा है । उन्होंने देवी अहिल्याबाई होलकर को याद करते हुए कहा की इंदौर ही नहीं सारे देश के लोग उनके समक्ष नतमस्तक होते हैं क्योंकि उन्होंने पराधीनता और आक्रमण की निशानी को मिटाते हुए नवनिर्माण किया। चाहे वाराणसी का मंदिर हो या सोमनाथ का, इसीलिए वाराणसी में आज अहिल्याबाई की भव्य प्रतिमा लगी हुई है। पुष्पेंद्रजी ने सिलसिलेवार तथ्यों सहित उन सभी घटनाओं का ब्यौरा दिया जिसके कारण देश को विभाजन का दंश झेलना पड़ा , गांधीजी का नेहरू के प्रति झुकाव भी इसकी एक वजह थी।
धर्म,संस्कृति बचाने का काम समाज का।
श्री कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हम सोचते हैं, सरकार हमारी आस्था बचाए, सरकार हमारी संस्कृति बचाए, सरकार हमारा धर्म बचाए लेकिन दरअसल यह काम सरकार का नहीं है, यह काम तो समाज का है सरकार केवल इतना कर सकती है कि आपके धर्म – संस्कृति के पालन में कोई बाधा उत्पन्न कर रहा है तो उसे संवैधानिक तरीके से दूर करें। राष्ट्र की चेतना का सबसे बड़ा उदाहरण है बाबरी मस्जिद का ध्वस्त होना और राम मंदिर का निर्माण।उन्होंने कहा की हमें यह धारणा बदलनी होगी कि अंग्रेजी बोलने वाला ही जेंटलमैन होता है , ज्ञानी होता है । हमारे पूर्वज भी बहुत ज्ञानी थे। उन्होंने बड़े बड़े काम किए हैं तर्क और विज्ञान सम्मत कार्य खामोशी से किए , हल्ला नहीं किया, शायद इसीलिए हम उनके कार्य को महत्व नहीं देते हैं । हमें हमारे पूर्वजों के ज्ञान और विरासत को सम्मान देना और उस पर गर्व करना सीखना होगा । लगभग दो घंटे से अधिक चले अपने धाराप्रवाह उद्बोधन में कुलश्रेष्ठ ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी जानकारी दी । पुष्पेंद्रजी के भाषण के दौरान उपस्थित जनसमुदाय तालियों की गड़गड़ाहट के बीच लगातार भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाता रहा।
प्रारंभ में एमराल्ड हाईट्स स्कूल के निदेशक मुक्तेश सिंह, सदगुरु अण्णा महाराज, मिलिंद महाजन, सिद्धार्थ सिंह, बाबा साहेब नवाथे ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन किया। संगीत गुरुकुल के छात्रों द्वारा वंदे मातरम की प्रस्तुति दी गई । अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के संयोजक अभिषेक बबलू शर्मा और प्रशांत बडवे ने किया । कार्यक्रम का संचालन सुनील धर्माधिकारी ने किया।