मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव का किया विरोध।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स ने धरना – प्रदर्शन कर की नारेबाजी।
ओपीडी में नहीं किया मरीजों का परीक्षण।
आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं रहीं अबाधित।
मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में रखा जाना था प्रस्ताव।
बैठक टल जाने से पेश नहीं हो सका प्रस्ताव।
इंदौर: मप्र के 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव के विरोध में प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के डॉक्टर्स ने मंगलवार को कामबंद हड़ताल की।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में किया प्रदर्शन।
इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में मेडिकल टीचर्स एसो. के आह्वान पर तमाम वरिष्ठ चिकित्सक सह प्राध्यापकों ने मंगलवार को काम से विरत रहकर सरकार के प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव का विरोध किया। डॉ. अरविंद घनघोरिया की अगुवाई में वरिष्ठ चिकित्सक मेडिकल कॉलेज परिसर में एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। जूनियर डॉक्टर्स एसो. नर्सिंग एसो. और कर्मचारी संगठनों ने भी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की हड़ताल को अपना समर्थन दिया। सभी ने एक स्वर में प्रशासनिक अधिकारियों की मेडिकल कॉलेजों में नियुक्ति के सरकार के प्रस्ताव को गलत ठहराया।
ओपीडी में नहीं गए डॉक्टर्स, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं रहीं जारी।
मंगलवार को हड़ताल के चलते वरिष्ठ चिकित्सक अध्यापन कार्य से विरत रहने के साथ ओपीडी और एमवाय अस्पताल के वार्डों में भी मरीजों को देखने नहीं गए, जिससे मरीजों को निराश होना पड़ा। हालांकि आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं जारी रखीं गई।
सरकार दुबारा प्रस्ताव लाई तो करेंगे मुकम्मल हड़ताल।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, इंदौर के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेजों में डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव भी रखा जाने वाला था। इसी के विरोध में सोमवार को प्रदेश के सभी 13 शासकीय मेडिकल कॉलेजों के प्राध्यापक सह वरिष्ठ चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर काम किया था। मंगलवार को सभी वरिष्ठ चिकित्सक हड़ताल पर रहे। उन्होंने बताया कि हड़ताल को जूनियर डॉक्टर्स एसो. नर्सिंग एसो. और कर्मचारी संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया। डॉ. घनघोरिया के मुताबिक राहत की बात ये है की मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक टल जाने से प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव भी लंबित हो गया, पर हड़ताल के जरिए हमने सरकार को आगाह किया है कि दुबारा यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की कोशिश हुई तो प्रदेशभर के शासकीय मेडिकल कॉलेज और उनसे संबद्ध अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं पूरीतरह ठप कर दी जाएंगी, जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। डॉ. घनघोरिया के मुताबिक देश में एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ जैसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों सहित किसी भी शासकीय मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की जाती। कॉलेज के डीन को ही तमाम दायित्व सौंपे जाते हैं। ऐसे में मप्र में चिकित्सा क्षेत्र से इतर अधिकारियों की चिकित्सा संस्थानों में नियुक्ति का प्रयास समझ से परे है।
प्रतिनिधि मंडल को मिला आश्वासन।
मेडिकल टीचर्स एसो. इंदौर के सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, मप्र का प्रतिनिधि मंडल भोपाल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिलने गया था। श्री सारंग गुजरात चुनाव में व्यस्त होने से मुलाकात नहीं हो पाई पर मेडिकल टीचर्स एसो. ने मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव के विरोध की बात निजी सचिव के जरिए उनतक पहुंचा दी है। निजी सचिव के जरिए आश्वासन मिला है कि सरकार उक्त प्रस्ताव को वापस ले रही है और कैबिनेट की आगे होने वाली बैठक में इसे नहीं रखा जाएगा। इस आश्वासन के चलते हड़ताल स्थगित कर दी गई है।