डॉ. रजनी भंडारी की कविताएं आधुनिक युग की जातक कथाएं है – सत्तन।
गरिमामय समारोह में कविता संग्रह ‘सीख’ का लोकार्पण।
इंदौर : थेलेसिमिया चाइल्ड एंड वेलफेयर ग्रुप की अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.रजनी भंडारी के पहले कविता संग्रह ‘ सीख’ का लोकार्पण एक गरिमामय समारोह में जाल सभागृह में संपन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी थे। अध्यक्षता मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ.विकास दवे ने की। विशिष्ठ अतिथि थे पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा और प्रदेश की संस्कृति व धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर । चर्चाकर थे वरिष्ठ कवि सत्यनारायण सत्तन और शिक्षाविद अलका भार्गव।
इस मौके पर डॉ. दवे ने कहा कि डॉ.रजनी भंडारी की रचनाओं में मां के संस्कार और ममता के साथ उनकी ऐसी सीख है,जो बच्चो को बेहतर इंसान बनाती है और सुंदर समाज का निर्माण करती है। इस कविता संग्रह में हमारी संस्कृति के अद्भुत दर्शन होते है। यह कविता संग्रह संवेदना और कर्तव्यों से भरा है।
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि डॉ. रजनी भंडारी की कविताओं में ऐसी सीख है, जिसमे सच को सच कहने का साहस है और निष्क्रिय समाज के खिलाफ कड़ा प्रहार है। ऐसी कविताएं ही समाज में बदलाव ला सकती हैं।
पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने कहा कि डॉ. रजनी भंडारी की कविताएं समाज को सही राह दिखाती हैं और मानवीय संबंधों को एक नया अर्थ देती हैं।आज ऐसी ही रचनाएं लिखी जानी चाहिए जो सत्य को उद्घाटित करें।
सीख में संवेदना का बोध और सामाजिक चेतना है।
वरिष्ठ कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि डॉ. रजनी भंडारी की कविताएं आधुनिक युग की जातक कथाएं हैं, वे अहिंसा के खिलाफ हैं, जिनसे हमें सीख लेना चाहिए।सीख में संवेदना का बोध और सामाजिक चेतना है। सत्तन ने आगे कहा कि अक्षर ब्रह्म है जो कभी मरते नहीं हैं।साहित्य अक्षरों की आराधना करता है।साहित्य समाज को जोड़ता है जबकि राजनीति तोड़ती है।
वरिष्ठ शिक्षाविद अलका भार्गव ने कहा कि डॉ.रजनी भंडारी की कविताओं में विचारो और भावों का संप्रेषण है, मां की ममता और बच्चों का कर्तव्य है,जो समाज को सही राह दिखाती है।श्रीमती भार्गव ने सीख में लिखी कुछ कविताओं का वाचन भी किया।
कोरोना काल में लिखी कविताएं।
इस मौके पर सीख की लेखिका डॉक्टर रजनी भंडारी ने कहा कि यह कविता संग्रह मैंने कोरोना के आपदा काल में लिखकर समय का सदुपयोग किया। इसमें परिवार और समाज से जुड़ी ऐसी कविताएं है जिनमें कुछ न कुछ सीख है। पाठकों के आग्रह पर डॉ. रजनी भंडारी ने कविता संग्रह सीख की कुछ रचनाएं भी सुनाई।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे ने कहा कि डॉ.रजनी भंडारी की कविताएं समाज को जोड़ने का कार्य करती है और यह लेखिका का पहला पुष्प है।यह अंतिम नही होना चाहिए। डॉ. भंडारी को आगे भी लेखन जारी रखना चाहिए ताकि समाज को बेहतर रचनाएं मिले ।
इस मौके पर श्री पगारे का सम्मान भी किया गया।
प्रारंभ में अतिथि स्वागत डॉ . रजनी भंडारी,शिल्पा भंडारी शुभ्रा भंडारी और सागरिका मित्रा भंडारी ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिन्ह दिलीप भंडारी, प्रदीप भंडारी और शुभ्रा भंडारी ने भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ.सुधा चौहान ने किया। आभार प्रदीप भंडारी ने माना।
कार्यक्रम में ओमप्रकाश नरेड़ा,शांति देवी शर्मा,नवीन , चिंतन बाकीवाला सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।