कैश ट्रांजेक्शन और इनकम टैक्स इंप्लीकेशन पर आयोजित सेमिनार में बोले वक्तागण।
इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा “कॅश ट्रांजेक्शन्स एवं इनकम टैक्स इम्प्लीकेशन” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें वरिष्ठ एडवोकेट एवं कर सलाहकार महेश अग्रवाल ने सम्बोधित किया।
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सीए जे पी सराफ ने इस मौके पर कहा कि भारत की इकोनॉमी, कॅश लेस इकोनॉमी की ओर बढ़ रही है, ऐसे में पिछले 8-10 वर्षों से आयकर विभाग की नजर करदाता द्वारा किये जाने वाले कॅश ट्रांजेक्शन पर है। गड़बड़ी पाए जाने पर करदाता को ह्यूज डिमांड तथा पेनल्टी का सामना करना पड़ता हैl अतः आवश्यक है कि व्यापार में कॅश ट्रांजेक्शन का अनुपात कम से कम रखा जाए।
टीपीए के मानद सचिव सीए डॉ अभय शर्मा ने बताया कि यदि कॅश ट्रांजेक्शन्स में यदि ब्लैक मनी/मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका होती है तो आयकर विभाग के अलावा ईडी तथा अन्य इन्वेस्टिगेशन एजेंसियां भी करदाता को नोटिस जारी कर सकती हैं। इससे करदाता को गम्भीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है l
मुख्य वक्ता एडवोकेट महेश अग्रवाल ने कहा कि प्रॉपर्टी की खरीदी बेची पर हुए कॅश ट्रांजेक्शन्स, किसी दूसरे करदाता के यहाँ करदाता से सम्बंधित कॅश ट्रांजेक्शन मिलने पर, बैंक खाते में बड़ा कॅश विथड्रावल या डिपाजिट, कॅश सेल्स/परचेस, डेब्टर/क्रेडिटर से कॅश जमा या भुगतान, अनडिस्क्लोज़्ड बैंक एकाउंट्स, बुक्स ऑफ एकाउंट्स में कॅश शॉर्टेज इत्यादि ट्रांजेक्शन्स पर आयकर विभाग की पैनी नजर होती है। गड़बड़ी मिलने पर आयकर नोटिस जारी होने की सम्भावना होती है l
एडवोकेट महेश अग्रवाल ने बताया कि बैंक्स एवं अन्य इंस्टीट्यूशंस से “सस्पिशियस कैश ट्रांजेक्शन” एवं “कैश ट्रांजेक्शन रिपोर्ट्स” के माध्यम से आयकर विभाग को कैश ट्रांजैक्शंस की रिपोर्ट मिलती है। विभाग करदाता के रिटर्न में घोषित इनकम एवं आय की प्रकृति के आधार पर उक्त व्यव्हार का मिलान करता है। संदेहास्पद ट्रांजेक्शंस मिलने पर नोटिस जारी करता है। उन्होंने कहा कि क्रॉस बॉर्डर वायर ट्रांसफ़र रिपोर्ट (अंतरराष्ट्रीय व्यवहार की दशा में), फाइनेंस मिनिस्ट्री की फाइनेंस इंटेलीजेंस यूनिट, आयकर की हाई रिस्क रिफ़ंड रिपोर्ट, रिकॉग्नाइज्ड एवं अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलीटिकल पार्टी को दान, बोगस रिफ़ंड मिलने की दशा में आयकर विभाग नोटिस जारी कर कार्रवाई करता है। यदि कैश ट्रांजेक्शंस में क्रिमिनल प्रोसिडिंग्स, मनी लांड्रिंग इत्यादि की शंका होती है तो ईडी जांच शुरू कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में आवश्यक है कि जितना संभव हो सके कॅश ट्रांजेक्शन्स को अवॉइड किया जाएl उन्होंने कहा कि विवाह, मांगलिक कार्यों, जन्मदिन के उपलक्ष्य में यदि बड़ी मात्रा में नगद राशि प्राप्त होती है तो भी आयकर विभाग दान के वैधानिक स्रोत के सत्यापन की जाँच कर सकता है।
एडवोकेट अग्रवाल ने बताया कि आज के आईटी युग में करदाता से सम्बंधित हर जानकारी विभाग के पास उपलब्ध हैl आज पैन एवं आधार लिंक्ड है, मोबाइल नंबर आधार से लिंक्ड हैl इसके आधार पर आयकर विभाग के पास करदाता द्वारा किये गए हर व्यव्हार की जानकारी उपलब्ध है चाहे वह ऑनलाइन फ़ूड आर्डर किया हो, बड़े ब्रांड की खरीदी हो, हवाई यात्रायें, ऊँचे रेस्टोरेंट में पार्टी की हो या हाई वैल्यू गैजेट्स ख़रीदे होंl करदाता के लगभग सारे वित्तीय व्यव्हार आयकर विभाग की पकड़ में हैं अतः यह आवश्यक है कि नगद लेनदेन/खर्चा कम से कम किया जाए।
सेमिनार का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए डॉ अभय शर्मा ने किया। धन्यवाद् अभिभाषण सीए स्वर्णिम गुप्ता ने दिया l इस अवसर पर सीए शैलेन्द्र सिंह सोलंकी, सीए राकेश मित्तल, सीए अजय सामरिया, सीए प्रमोद गर्ग, सीए कुणाल अग्रवाल, सीए दीपक माहेश्वरी, गोविंद गोयल, सीए अविनाश अग्रवाल, मृणाल अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थेl