कोडवानी का धरना समाप्त, 5 प्रमुख मुद्दों पर 17 को होगा मंथन

  
Last Updated:  October 14, 2019 " 06:22 pm"

इंदौर : 12 अक्टूबर से कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन पर धरना दे रहे सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने महिला एवम बाल विकास मंत्री इमरती देवी से चर्चा के बाद धरना समाप्त कर दिया। मंत्री इमरती देवी सोमवार शाम धरना स्थल पहुंची और श्री कोडवानी से मुलाकात की। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजेश चौकसे, नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम, गिरधर नागर, अनिल यादव और शेख अलीम भी उनके साथ थे। श्री कोडवानी ने शहर के स्वास्थ्य से जुड़ी पांच प्रमुख समस्याओं से अवगत कराया। उन्होंने समस्याओ के समाधान के उपाय भी सुझाए। महिला व बाल विकास मंत्री ने श्री कोडवानी को बताया कि उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं को लेकर इंदौर के प्रभारी मंत्री बाला बच्चन 17 अक्टूबर को बैठक करेंगे। उसमें पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह भी मौजूद रहेंगे। बैठक में तमाम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। यह आश्वासन मिलने के बाद श्री कोडवानी ने अपना 55 घंटे से चला आ रहा धरना समाप्त कर दिया। उनके साथ महेश वर्मा, राजवीर सिंह, मुकेश यादव, जयप्रकाश गुजरी, प्रशांत पांडेय और मुकेश अग्रवाल भी क्रमिक रूप से धरने पर बैठे थे।

ये मुद्दे उठाए हैं कोडवानी ने।

1. बिगड़ता पर्यावरण –
किशोर कोडवानी के मुताबिक इंदौर जिले में पेड़ों की बेरहमी से कटाई हो रही है। हरियाली का औसत 33 फीसदी से घटकर केवल 7 फीसदी रह गया है। स्वास्थ्य सेवाओं की हालत भी चिंताजनक है।

2. गिरता भूजल स्तर- नर्मदा के तीन चरणों पर 1 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी आधे से अधिक शहर प्यासा है। 24 घंटे पानी मिलने का दावा खोखला निकला है। अधाधुंध दोहन से भूजल स्तर इतना नीचे चला गया है कि अगले तीन वर्षों में यह शून्य तक पहुंच सकता है। केंद्र सरकार के नीति आयोग ने इस सिलसिले में देश के 21 शहरों की जो सूची जारी की है उसमें इंदौर भी शामिल है।

3. ट्रैफिक जाम- श्री कोडवानी का कहना है कि शहर में वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा होने से ट्रैफिक जाम की समस्या स्थायी हो गई है। पार्किंग के लिए जगह ही नहीं बची है। प्रति 1 हजार जनसँख्या पर शहर में 815 वाहन हो गए हैं। प्रति वर्ष 30 हजार नई कारें खरीदी जा रहीं हैं। इनकी पार्किंग एक बड़ी समस्या होगी।

4. विनाशक विकास- विकास के नाम पर परिवारों को बेघर किया जा रहा है। मास्टर प्लान की सड़कें, मेट्रो रूट और नदी किनारों से लोगों को हटाया जा रहा है। पार्किंग की जगह पर बनी दुकानें तोड़ी जाना है। इसके चलते करीब पौने दो लाख परिवार बेघर हो रहे हैं। जबकि जिम्मेदार अधिकारी मजे में घूम रहे हैं।

5. मनमर्जी का प्रशासन- शहर की लोक परिवहन व्यवस्था फेल हो गई है। बीआरटीएस जबरन थोप दिया गया है। नदी- तालाबों की जमीनें योजना क्षेत्र से ही गायब कर दी गई हैं। सीवरेज पर 5 अरब रुपए खर्च करने के बाद भी नतीजा सिफर है। कचरा अभी भी ट्रेंचिंग ग्राउंड पर डंप किया जा रहा है।

कोडवानी ने इन समस्याओं के समाधान भी सुझाए हैं। उनका कहना है कि कमलनाथ सरकार आए हुए 9 माह से ज्यादा हो चुके हैं पर किसी तरह का बदलाव नजर नहीं आ रहा है। इसीलिए उन्हें धरने पर बैठना पड़ा।

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