नया वेरिएंट संक्रामक है पर इसकी तीव्रता ज्यादा नहीं।
बुजुर्ग, कमजोर इम्यूनिटी और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों पर पड़ेगा ज्यादा असर।
अवर लाइव इंडिया से चर्चा में बोले डॉ. वीपी पांडे।
इंदौर : पांच वर्ष पहले आया कोरोना वायरस फिर से इंसानों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। अब इसका नया म्यूटेंट जेएन 1 चीन, अमेरिका व अन्य देशों के साथ भारत में भी पैर पसारने लगा है। केरल, गोवा, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई राज्यों में इसके केस सामने आ रहे हैं। मप्र में भोपाल व इंदौर में इस नए म्यूटेंट से प्रभावित मरीज देखे गए हैं। इंदौर में अभी तक 04 मरीजों में जेएन 1 म्यूटेंट की पुष्टि हुई है। इसके फैलाव को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के साथ केंद्र सरकार ने भी एडवाइजरी जारी की है। आखिर कोरोना का ये नया वेरिएंट जेएन 1 कितना संक्रामक है, किन लोगों के लिए इसका संक्रमण हानिकारक हो सकता है। इसको लेकर क्या सावधानी बरती जानी चाहिए, आम तौर पर उठने वाले इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए हमने एमजीएम मेडिकल कॉलेज, इंदौर के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. वीपी पांडे से चर्चा की।
संक्रामक है पर घातक साबित नहीं होगा नया वेरिएंट जेएन 1
डॉ. वीपी पांडे ने बताया कि पांच साल पहले कोरोना वायरस अस्तित्व में आया था। इसके डेल्टा और बाद में ओमिक्रोन म्यूटेन्ट ने बड़ी तादाद में लोगों को प्रभावित किया था। यह वायरस जिंदा रहने के लिए अपना रूप बदलता रहता है। जेएन 1 इसका नया रूप (म्यूटेंट) है। यह नया वेरिएंट संक्रामक तो है अर्थात तेजी से फैलता है पर घातक साबित नहीं होगा। इससे डरने की नहीं सजग रहने की जरूरत है।
कमजोर इम्यूनिटी वालों को हो सकती है परेशानी।
डॉ. पांडे ने कहा कि बीते समय में जो लोग कोरोना से ग्रसित हुए हैं उनमें स्वतः इम्यूनिटी विकसित हो चुकी है। इसी के साथ देश की अधिकांश आबादी को वैक्सीन के दो डोज भी लग चुके हैं। ऐसे में नए वेरिएंट जेएन 1 से लोग संक्रमित तो होंगे पर जल्द ही इससे उबर भी जाएंगे। यह वेरिएंट केवल उन्हीं लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो,बुजुर्ग हो, डायबिटीज या अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हों।
डरने की नहीं जागरूक रहने की जरूरत।
डॉ. पांडे के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने कोरोना के नए रूप जेएन 1 को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में रखा है। इसका आशय यह है कि यह वेरिएंट संक्रामक तो है पर ज्यादा घातक नहीं है। ऐसे में इससे डरने की नहीं सजग व जागरूक रहने की जरूरत है। पहले की तुलना में अब कोरोना की जांच और इलाज काफी सुलभ हो गए हैं। वायरोलॉजी लैब की संख्या सैकड़ों में है वहीं आरटीपीसीआर सेंटर हजारों में हैं। अतः लक्षण दिखते ही लोगों को जांच करवा लेनी चाहिए। ज्यादातर संक्रमित लोग होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाते हैं। जिन्हें संक्रमण से ज्यादा परेशानी हो वे डॉक्टर की सलाह लें।
सर्दी – जुकाम हो तो मास्क लगाएं।
डॉ. पांडे ने बताया कि कोरोना के नए वेरिएंट जेएन 1 को लेकर भी वही सावधानियां बरतनी चाहिए जो पूर्व के म्यूटेंट के संक्रमण के दौरान बरती जाती थी। सभी को मास्क लगाने की जरूरत नहीं है पर जिन्हें सर्दी – जुकाम की शिकायत हो वे मास्क लगाएं, भीड़ भरी जगहों पर जानें से बचें, जांच कराएं और कोरोना पॉजिटिव आने पर हम आइसोलेशन में रहें और डॉक्टर की सलाह लें। इससे संक्रमण के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी।