कोविड में अभिभावकों को खोने वाले 125 कॉलेज के छात्रों की फीस का सांसद लालवानी ने किया इंतजाम

  
Last Updated:  September 2, 2021 " 01:15 am"

इंदौर : सांसद शंकर लालवानी की इतने दिनों की मेहनत रंग लाई है। कोविड में अभिभावकों को खोने वाले 125 से ज़्यादा बच्चों की कॉलेज फीस का इंतज़ाम किया गया है। प्रीतमलाल दुआ सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों को सर्टिफिकेट एवं चेक का वितरण किया गया। सांसद लालवानी के प्रयासों से अब तक करीब 2.10 करोड़ रु से ज़्यादा की फीस का इंतज़ाम किया गया है।

इस दौरान सांसद शंकर लालवानी ने भावुक होते हुए कई किस्से सुनाए। उन्होंने कहा कि कोविड में जिन्होंने अपने माता, पिता या परिवार के किसी सदस्य को खोया है, उनकी पीड़ा का अंदाजा लगाना मुश्किल है। एक तरफ आप भावनात्मक रुप से टूट जाते हैं तो दूसरी तरफ भविष्य की चिंता होती है। इसलिए हमने स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों की मदद के लिए ये कदम उठाया।
सांसद शंकर लालवानी ने कोविड में जान गंवाने वाले बच्चों को श्रध्दांजलि दी और कहा कि किसी भी समाज और राष्ट्र के निर्माण का आधार शिक्षा ही है।
इसलिए जब कोविड में अभिभावकों को गंवाने वाले बच्चों की शिक्षा का सवाल आया तो उन्होंने प्रण किया था कि बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकेगी।

आत्मनिर्भर बनने का देंगे प्रशिक्षण।

सांसद लालवानी ने कहा कि जल्द ही नौकरी करने की इच्छुक माताओं-बहनों के लिए उनकी योग्यता के हिसाब से नौकरी की व्यवस्था की जाएगी। बहनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें।

कलेक्टर मनीष सिंह ने सांसद लालवानी के इस अभिनव प्रयास की तारीफ की। वहीं समाजसेवी डॉ.अनिल भंडारी ने कहा कि ‘सांसद शंकर लालवानी ने ये बहुत बड़ा काम हाथ में लिया और इतने कम समय में इसे पूरा भी कर लिया। ऐसा करने वाले वे देश के एकमात्र सांसद है।’

कार्यक्रम में उपस्थित पालकों और बच्चों ने सांसद शंकर लालवानी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। कई बच्चों ने कहा कि उन्होंने कोविड में अपने पिता को खोया है लेकिन सांसद शंकर लालवानी के रुप में अभिभावक मिल गए हैं।

इससे पहले सांसद लालवानी के प्रयासों से लगभग 400 से ज़्यादा बच्चों की स्कूल फीस का इंतज़ाम किया गया था।
इस मौके पर केतन भंडारी, सावन लड्ढा, विशाल गिदवानी, यूके झा, आरके शर्मा आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अनिल भंडारी ने किया और आभार सावन लड्ढा ने माना।

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