गणगौर सहित अन्य लोक नृत्य की प्रस्तुतियों से महका मालवा उत्सव का छठा दिन

  
Last Updated:  May 31, 2022 " 12:30 am"

इंदौर : निमाड़ अंचल में गणगौर का बड़ा महत्व है, जिसमें महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर की पूजा करती है। सोमवार को मालवा उत्सव के छठे दिन निमाड़ का प्रसिद्ध नृत्य गणगौर, महिलाओं द्वारा लाल छीठ के घेरदार लहंगे पहनकर किया गया। शास्त्रीय नृत्यांगना रागिनी मक्खर व साथियों द्वारा नारी शक्ति पर केंद्रित कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक, सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इंदौर गौरव दिवस के तहत संस्कृति संचनालय एवं नगर निगम के सहयोग से आयोजित मालवा उत्सव में उड़ीसा से आए 14 लोक कलाकारों के समूह ने वहां का प्रसिद्ध नृत्य डाल खाई प्रस्तुत किया। यह नृत्य दुर्गा पूजा के अवसर पर दशहरा तक किया जाता है। लाल व काली साड़ी में महिलाएं नृत्य कर रही थी तो पुरुष सफेद धोती में नजर आए। यह नृत्य भाई की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। आदिवासी गोंड जनजाति का नृत्य सेला जो दशहरा से दीपावली तक किया जाता है, इसमें सवा हाथ के बांस के डंडे का प्रयोग खूबसूरत ढंग से किया गया। कर्नाटक का ढोल कुनीथा भी 20 लोक कलाकारों द्वारा जोर-जोर से ढोल बजाते हुए प्रस्तुत किया गया। धूलिया जनजाति का गुदूम बाजा नृत्य कौड़ियों के पट्टे हाथ व शरीर में पहनकर गुदुम बजाते हुए किया गया। इसमें पिरामिड की संरचना खास रही। यादव समाज का नृत्य बरेदी, सागर से आए मनीष यादव के समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया। चकरी घुमाते हुए करीब 10 युवकों की टीम ने पीले परिधान में यह नृत्य किया। इसमें उन्होंने कई पिरामिड फॉरमेशन बनाएं ।गुजरात सूरत से आई टीम द्वारा राधा कृष्ण रास गरबा प्रस्तुत किया गया जिसमें पितांबर पहने कृष्ण व पीले वस्त्र पहनी राधा का समन्वय देखने लायक था। महाराष्ट्र का मछुआरा समाज का कोली नृत्य, समुद्र में चप्पू चलाते हुए सुंदर दृश्य के साथ पेश किया गया। महाराष्ट्र की लावणी भी सबके मन को भा गई। राजस्थान से आई कलाकारों की टीम ने घूमर व चकरी नृत्य प्रस्तुत किया। गुजरात की टीम ने काठियावाड़ी रास एवं टीवीशा व्यास समूह ने गुजराती गरबा वायलिन की धुन पर प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध कलाकार रागिनी मक्खर एवं 27 शिष्यो द्वारा प्रस्तुत नारी सशक्तिकरण का रूप सभी दर्शकों ने काफी पसंद किया जिसमें कत्थक के माध्यम से देवी अहिल्या का महिमामंडन किया गया वही बताया गया कि शिव, ब्रह्मा, नारायण सभी नारी शक्ति के बगैर अधूरे हैं।

शिल्प मेले में उमड़ी भीड़।

लोक संस्कृति मंच के सतीश शर्मा, बंटी गोयल, पुनीत साबू एवं विशाल गिदवानी ने बताया कि शिल्प मेले में सोमवार को काफी भीड़ उमड़ी। यहां बांग्लादेश सीरिया लेबनान अफगानिस्तान की ज्वेलरी से लेकर कालीन और जूट व साड़ियां सभी मौजूद हैं ।उत्तर प्रदेश का टेराकोटा, नागालैंड का ड्राई फ्लावर, मिजोरम व आसाम का बास शिल्प, छत्तीसगढ़ का लोह शिल्प व मध्य प्रदेश का पीतल शिल्प साथ में महेश्वरी, पोचमपल्ली साड़ियां, कोलकाता का जूट शिल्प और लखनऊ, फरीदाबाद, आजमगढ़, देहरादून से कई प्रकार के शिल्प यहां उपलब्ध हैं। वही उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध चीनी मिट्टी के बर्तन यहां पर मौजूद है हिमाचल प्रदेश हरियाणा राजस्थान से भी शिल्प यहां पर आए हैं।

लोक संस्कृति मंच के पवन शर्मा कमल गोस्वामी एवं रितेश पाटनी ने बताया कि इंदौर गौरव दिवस पर आयोजित मालवा उत्सव मेले का मंगलवार को अंतिम दिन है। शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से ही प्रारंभ होगा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम सायंकाल 7:30 बजे से प्रारंभ होंगे जिसमें पनिहारी, लावणी ,कोली, राजस्थानी घूमर, गोंड कर्मा, बरेदी, गुजराती रास, काठियावाड़ी रास और उड़ीसा एवं कर्नाटक के लोक नृत्य प्रस्तुत होंगे।

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