गणतंत्र दिवस पर कांग्रेसियों में दे दनादन…

  
Last Updated:  January 27, 2020 " 08:37 am"

इंदौर: कांग्रेस में भीड़तंत्र और पट्ठावाद का बोलबाला है ये बात सर्वविदित है। अनुशासन और कांग्रेस का दूर- दूर तक कोई लेना- देना नहीं है। अपने नेता को चेहरा दिखाने की होड़ में कार्यकर्ता हर सीमा लांघ जाते हैं। लेकिन गणतंत्र दिवस पर कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन में जो दृश्य नजर आया उसे सिर्फ शर्मनाक ही कहा जा सकता है।
दरअसल दशकों के बाद गणतंत्र दिवस पर गांधी भवन में कोई सीएम झंडावंदन के लिए आ रहे थे। बीते कई दिनों से इसकी तैयारियां चल रहीं थीं। गांधी भवन को रंगरोगन के साथ आकर्षक ढंग से सजाया गया था।सामने स्थित पूरे रोड को भी तिरंगे झंडों से पाट दिया गया था। सीएम की अगवानी के लिए लाल कालीन बिछाया गया था। प्रशासन ने भी सीएम की सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम कर रखे थे। बताया जाता है कि सीएम की अगवानी और स्वागत में कौन- कौन शामिल होगा उसकी सूची भी बनाई गई थी पर कांग्रेसी भला किसी नियम और दिशा- निर्देश को मानने से रहे। हर नेता चाहता था कि वह सीएम कमलनाथ की नजरों में आए। इसके चलते की गई व्यवस्था को ठेंगा दिखाकर हर कोई मंच के करीब पहुंचने को लालायित था। इधर कांग्रेस के ही एक धरना- प्रदर्शन विशेषज्ञ नेता अति उत्साह में खुद ही तय करने लगे कि मंच के पास तक किसकी एंट्री होगी, कौन सीएम से मिल सकेगा। गड़बड़ यहीं से शुरू हुई। कांग्रेस संगठन में प्रदेश पदाधिकारी बताए जा रहे चंदू कुंजीर अपने पट्ठों के साथ गांधी भवन पहुंचे। उनकी भी चाहत थी कि सीएम कमलनाथ से रूबरू मिलकर अपने नम्बर बढाएं और राजनीतिक जमीन को मजबूत करें। इसी मंशा के साथ वे झंडावंदन स्थल की ओर बढ़ने लगे तो अति उत्साही नेता देवेंद्र यादव उनके अरमानों पर रायता ढोलने आड़े आ गए। दोनों के बीच पहले तो बहस हुई। फिर तकरार होने लगी, मामला गरमाने लगा तो चंदू कुंजीर और उसके पट्ठों का धैर्य जवाब देने लगा। उस समय तक सीएम का आगमन नहीं हुआ था। देखते ही देखते कुंजीर- यादव का वाकयुद्ध मर्यादा की तमाम हदें लांघकर निम्नस्तरीय शब्दावली तक पहुंच गया। आसपास खड़े अन्य कांग्रेसी सुबह- सुबह इस मुफ्त के मनोरंजन का मजा ले रहे थे। हालांकि वे मामले की गंभीरता को समझे तब तक कार्यक्रम स्थल रणक्षेत्र बन गया। वाकयुद्ध पलभर में ही हाथापाई में तब्दील हो गया। लात- घूंसे और अपशब्दों की गूंज से माहौल थर्रा गया। बताया जाता है कि कुंजीर एंड कम्पनी देवेंद्र यादव पर भारी पड़ी। कांग्रेसी नेता और पुलिस हरकत में आते तब तक देवेंद्र यादव के गाल कुंजीर के थप्पड़ से लाल हो चुके थे। दोनों को अलग करने के बाद पुलिस ने कुंजीर को वहां से हटा दिया।
मारपीट कांड के बाद देवेंद्र यादव थाने पहुंचे और चंदू कुंजीर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने कुंजीर पर गम्भीर आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर करने की मांग भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से की। उधर कुंजीर का कहना था कि मारपीट की शुरुआत देवेंद्र यादव ने की। कुंजीर भी एफआईआर दर्ज कराने थाने पहुंचा था पर उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई।
मामले को सीएम के संज्ञान में भी लाया गया है। अब वे क्या कदम उठाते हैं यह तो वक्त बताएगा लेकिन गणतंत्र दिवस पर कांग्रेसियों ने जो शर्मनाक नजारा पेश किया उसने पार्टी की भद तो पिटी ही, विपक्ष को भी निशाना साधने का मौका मिल गया। इस घटना से आम जनता में भी यही संदेश गया कि कांग्रेसी कभी सुधर नहीं सकते…

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