इंदौर : ज्योतिरादित्य सिंधिया सांवेर से बीजेपी प्रत्याशी और अपने सबसे खास समर्थक तुलसी सिलावट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। उपचुनाव की घोषणा के पूर्व नर्मदा जल सिंचाई परियोजना के कार्यक्रम में सिंधिया ने सीएम शिवराज के साथ मंच साझा कर तुलसी सिलावट के लिए समर्थन मांगा था। कुछ ही दिन पूर्व उन्होंने सिलावट के समर्थन में ग्राम कंपेल में सभा को सम्बोधित किया था। मंगलवार (27 अक्टूबर) को भी सिंधिया पुनः आए और सांवेर विधानसभा के चंद्रावतीगंज में आयोजित आमसभा को संबोधित किया। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी तुलसी सिलावट को विजयी बनाने की अपील करते हुए कहा कि सिलावट ने सांवेर के सम्मान और विकास की खातिर मंत्री और विधायक पद छोड़ दिया। वे एक योद्धा हैं। सांवेर के विकास के लिए वे ढाई हजार करोड़ की नर्मदा सिंचाई व पेयजल परियोजना लेकर आए। इस योजना से सांवेर का भाग्य बदल जाएगा।
कमलनाथ- दिग्विजय सिंह पर साधा निशाना।
सिंधिया ने अपने भाषण में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार ने वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार का अड्डा बना रखा था। तबादला उद्योग चलाया जा रहा था। 15 माह में कमलनाथ- दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने विकास का कोई काम नहीं किया। इसलिए मैंने (सिंधिया) अपने साथियों के साथ गद्दारों की सरकार को धूल चटा दी। सिंधिया ने कहा कि 15 माह में कमलनाथ को कभी सांवेर की याद नहीं आई, अब वे वोट मांगने आए। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी ने प्रदेश का बेड़ा गर्क कर दिया। 40 साल से राजनीति करने वाले जनता को सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं दे पाए।
शिव- ज्योति की सोच विकास की है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चंद्रवतीगंज के लोगों से कहा कि मेरी और सीएम शिवराज की सोच विकास की है। सांवेर से तुलसी सिलावट नहीं सिंधिया- शिवराज चुनाव लड़ रहे हैं। हमारा खून भी आपके लिए हाजिर है। सिंधिया ने कहा कि एकतरफ कमलनाथ- दिग्विजय जैसे लोग हैं वहीं दूसरी ओर सिंधिया- शिवराज की जोड़ी है। फैसला आपको करना है। सिंधिया ने लोगों से आग्रह किया कि वे आगामी 3 नवम्बर को बीजेपी प्रत्याशी तुलसी सिलावट को वोट देकर गद्दारों(कमलनाथ- दिग्विजय ) का बोरिया बिस्तर बंधवाने में सहभागी बनें।
सिर्फ 11 मिनट बोले सिंधिया।
निर्धारित समय शाम 4 बजे के स्थान पर सिंधिया 1 घंटा देरी से याने शाम 5 बजकर 06 मिनट पर सभास्थल पहुंचे।सूर्यास्त के बाद हेलीकॉप्टर का उड़ान भरना संभव नहीं था और सिंधिया को अगले कार्यक्रम में पहुंचना भी जरूरी था। इसलिए बिना किसी औपचारिकता के मंच पर आते ही उन्होंने माइक संभाल लिया और कुल जमा 11 मिनट बोले। सभास्थल का चयन भी ठीक नहीं था, इसके चलते भीड़ में लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भूल गए। सिंधिया के जाने के बाद तक लोग सभास्थल पर पहुंचते रहे। किसी खुले स्थान पर सभा रखी जाती तो ज्यादा अच्छा प्रतिसाद मिल सकता था।