गाय के पंचगव्य से बनाई जा रही कोरोना की वैक्सीन

  
Last Updated:  September 12, 2020 " 11:45 am"

इंदौर : कोरोना से पीड़ित लोगों के लिए एक खुशखबर… गाय से मिलने वाले पंचगव्य अर्थात गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी का उपयोग अब कोरोना महामारी का वैक्सीन बनाने में किया जाएगा। इंडियन कौंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च ने इस प्रयोग की अनुमति प्रदान कर दी है। उम्मीद है अगले माह तक इस वैक्सीन के उत्साहवर्द्धक परिणाम मिल सकेंगे।
केशरबाग रोड़ स्थित प्राचीन अहिल्या माता गौशाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष रवि सेठी और संयुक्त सचिव सी.के. अग्रवाल को यह जानकारी भारत सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डाॅ. वल्लभ भाई कथीरिया ने दी।
उन्होंने बताया कि अहमदाबाद की बंसी गौशाला की 450 गायों से प्राप्त पंचगव्य पर कोरोना वैक्सीन का प्रयोग पिछले कुछ दिनों से चल रहा था जिसके अनुकूल नतीजे मिलने के बाद आईसीएमआर से वैक्सीन बनाने की अनुमति मांगी गई थी जो मिल चुकी है। इसी गौशाला के अध्यक्ष गोपाल सुतारिया ने बताया कि यहां गिलोय से ज्वरनाशक दवाई का निर्माण भी कर लिया गया है। इसके लिए गिलोय को धूप में छह घंटे सुखाने के बाद मिश्रण को पीसकर यह दवाई बनाई गई है।
कथीरिया ने बताया कि सबसे पहले अहमदाबाद की गौशाला में इस वैक्सीन के निर्माण का परीक्षण शुरू होगा, उसके बाद पुणे, सूरत, हैदराबाद और जोधपुर की गौशालाओं में इंडियन कौंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की गाईड लाइन का पालन करते हुए वैक्सीन का निर्माण किया जाएगा। अब तक मिले नतीजों से लगता है कि बहुत जल्द देश में यह वैक्सीन कोरोना मरीजों के लिए बहुत कम दरों पर उपलब्ध हो सकेगी। गुजरात आयुष विभाग के पूर्व निर्देशक संदीप पांड्या ने भी अपने 40 वर्षों के अनुभव के आधार पर कहा है कि पंचगव्य के पांचों तत्वों के अलग-अलग लाभ मिले हैं। पांचों तत्वों के संयुक्त नतीजें भी चमत्कारिक रहे हैं। फिलहाल पंचगव्य से कोरोना को नष्ट करने की दिशा में तेजी से काम शुरू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पंचगव्य से गुजरात में विशेष हवन सामग्री भी तैयार की गई है जिससे घर या प्रतिष्ठान में हवन करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इस सामग्री में कपूर एवं दीपक भी शामिल है जिनको जलाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। कामधेनु हवन सामग्री के नाम से इस मिश्रण में पंचगव्य के उत्पाद शामिल किए गए हैं। यह सामग्री भी इन दिनों काफी लोकप्रिय एवं प्रभावी साबित हो रही है।

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