इंदौर : कोरोना के कहर ने त्योहारों की रौनक फीकी कर दी है। लोग घरों में ही रहकर पर्व की खुशियां मनाने को मजबूर हैं। हालांकि सीमित रूप में सही पर लोग पर्व से जुड़ी परम्पराएं, रस्में निभानें में पीछे नहीं है।
घर- घर सजाई गुड़ी, दी नववर्ष की शुभकामनाएं।
मंगलवार को वर्ष प्रतिपदा गुड़ी पड़वा और भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2078 का उल्लास कोरोना कर्फ्यू के चलते घरों तक ही सिमटकर रह गया। हालांकि खासकर मराठी भाषी परिवारों में गुड़ी सजाई गई। घर की महिलाओं ने उसका पूजन किया और कोरोना रूपी महामारी से जल्द मुक्ति की कामना की।इस मौके पर घर- घर श्रीखंड बनाकर उसका लुत्फ उठाया गया।
मंगलवार से भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2078 की भी शुरुआत हुई। इसे दुनिया का सबसे पुराना कैलेंडर माना जाता है। इस दिन केसरिया पताकाएँ लहराने के साथ गुड़- धनिया बांटने की भी परंपरा रही है लेकिन कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते इस बार भी यह परंपरा नहीं निभाई जा सकी। लोगों ने घरों- मठ मंदिरों में जरूर केसरिया पताकाएँ लहराकर नववर्ष की खुशियां मनाई। सोशल मीडिया पर नववर्ष की शुभकामनाएं और बधाइयां देने का सिलसिला दिनभर चलता रहा।
चैत्र नवरात्रि की भी हुई शुरुआत।
वर्ष प्रतिपदा गुड़ी पड़वा से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत हो गई। कोरोना काल के चलते ज्यादातर माता मंदिरों के पट बन्द हैं। इसके चलते लोग घरों में ही नवरात्रि का पूजन कर माता की आराधना में जुट गए हैं। कई लोग पूरे नौ दिन व्रत रखकर माता की उपासना करते हैं। सभी माता से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि कोरोना के कहर से मानव जाति की रक्षा करें और इस महामारी से जल्द से जल्द मुक्ति मिले।