श्री ब्रम्होत्सव एवं रथयात्रा महोत्सव।
गरुड़ वाहन पर निकली प्रभु वेंकटेश की सवारी।
इंदौर : प्रभु वेंकटेश की आरती के स्वरों के बीच प्रभु वेंकटेश के विशेष उत्सव तिरुप्पवाड़ा के दर्शन भव्यता के साथ श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग पर श्रीमदजगदगुरु रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के मंगलाशासन में हुए।
देवस्थान में दक्षिड भारत से आए श्रीमन्नारायण भट्टर स्वामी व उनके सहयोगियों द्वारा तिरुप्पवाड़ा उत्सव में केले के पत्तों पर इमली के चावल से प्रभु वेंकटेश के श्रीविग्रह का निर्माण किया गया था। इसमें प्रभु के संपूर्ण स्वरूप के दर्शन हो रहे थे। विभिन्न प्रकार की मिठाइयों मालपुआ, चकली , जलेबी , लडु, डॉयफ्रूट द्वारा श्रृंगार कर प्रभु को शंख, चक्र, तिलक और वनमाला के साथ ही अदभुत सुंदर नेत्र व तिलक धारण कराए गए। देश भर से पधारे संतों ने व यजमान ओमप्रकाश तापड़िया, अक्षत कांतिलाल बम परिवार ने भी प्रभु के दिव्य स्वरूप का पूजन अर्चन कर आरती की।इस अवसर पर राधाकृष्ण महाराज ने भी दर्शन किए। बड़ी तादाद में भक्तों ने प्रभु के इस दिव्य स्वरूप का दर्शनलाभ लिया।
विशेष वसंतोत्सव मनाया।
इसके पूर्व देवस्थान में तिरुपति की ही तर्ज पर दक्षिण भारतीय पद्धत्ति द्वारा वसंतोत्सव भी मनाया गया। इस दौरान प्रभु वेंकटेश व श्रीदेवी और भूदेवी का केशर, जल,चंदन के चूरे ,शहद से विशेष मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया गया। चंदन पावडर से मुकुट बनाया गया। इस अवसर प्रभु वेंकटेश की स्वर्ण पुष्प से अर्चना भी की गई ।सभी बाहर से पधारे संतो ने भी रजत कलशों से अभिषेक किया।यजमान सुमित कल्याण मंत्री ने कलशों का पूजन किया।
वेंकट रमना गोविंदा की जोरदार गूंज के साथ गरुड़ वाहन पर निकली प्रभु वेंकटेश की सवारी।
रात्रि में भगवान वेंकटेश की सवारी गरुड़ वाहन पर आरूढ़ होकर गोविदा गोविंदा के जयघोष के साथ मंदिर परिसर में निकाली गयी। जैसे ही सवारी के दर्शन पट खुले वेसे ही भक्तों की नजर भगवान की मोहिनी सूरत पर टिक गई ,यात्रा में वेणुगोपाल संस्कृत पाठशाला के विद्याथीं श्रीसूक्त , पुरुष सूक्त , वेंकटेश स्तोत्र व वैदिक मंत्रोचार करते चल रहे थे। भजन गायक द्वारकादास मंत्री ने सुरीले भजनों से समा बांध दिया।