इंदौर: मदर्स डे याने मातृ दिवस की खुशियां मनाने और बाटने की बात हो तो संगीत की सुमधुर लहरियों से अच्छा जरिया भला और क्या हो सकता है। शास्त्रीय संगीत के प्रचार- प्रसार के लिए काम कर रही संस्था पंचम निषाद ने अपनी मासिक श्रृंखला स्वरप्रवाह के तहत मातृ दिवस के उपलक्ष्य में शास्त्रीय गायन की महफ़िल सजाई। इस महफ़िल की खासियत ये थी कि गाने- बजाने से लेकर संयोजन करने वाली भी महिलाएं थी।
40 पर उछाले मार रहे पारे के प्रकोप से पसीना- पसीना हो रहे शास्त्रीय संगीत के मुरीदों के लिए ये महफ़िल ठंडी बयार सी सुकून देने वाली रही।
पंचम निषाद की संचालिका शोभा चौधरी की खासियत है कि अपने शिष्यों को मंच पर प्रस्तुति देने का मौका देना वे नहीं भूलती। इंदौर प्रेस क्लब के सभागार में सजाई गई मातृशक्ति को समर्पित इस महफ़िल का आगाज भी उनकी सुशिष्या दीक्षा सुपेकर ने किया। राग भैरव में विलंबित एकताल में निबद्ध पारंपरिक खयाल बालमुवा मोरा सैया से दीक्षा ने गायन की शुरुआत की। इसके बाद द्रुत एकताल में जागो ब्रज राज कुंवर गाकर दीक्षा ने अपनी सधी हुई गायकी का परिचय दिया।
मोनिका का स्तरीय गायन।
दीक्षा के बाद मंच संभाला अहमदाबाद से आई मोनिका शाह ने। किसी गुजराती महिला को पहली बार शास्त्रीय गायन की बानगी देते हुए देखकर सुखद आश्चर्य हुआ। मोनिका की गायकी का सशक्त अंग ठुमरी गायन है। वे ख्यात ठुमरी गायिका गिरिजादेवी की सुशिष्या हैं। जानकारों के मुताबिक ठुमरी एक गायन शैली है जिसमें भाव को प्रधानता दी जाती है। रागों का मिश्रण भी इस गायन शैली की खासियत है।
खैर मोनिका शाह ने राग अहीर भैरव की रचना से गायन का आगाज किया। बोल थे अखियां ना लागी।
इसके बाद अपनी गायकी को परवान चढ़ाते हुए मोनिकाजी ने मध्यलय त्रिताल में निबद्ध बंदिश अलबेला सजन आयो गाई। इसी क्रम में रब से तू नेहा लगाए गाकर उन्होंने श्रोताओं को स्तरीय गायन की दावत दी। राग ललित और भैरव के मिश्रण से बने अप्रचलित राग प्रभात भैरव में बंदिश हर हर गंगाधर पेश करने के बाद मोनिकाजी ने अपनी खास पेशकश ठुमरी गाकर सुनकारों की खूब दाद बटोरी। राग देश मे एक बंदिश गाने के बाद मोनिका ने चैती चैत मासे चुनरी रँगाइबे हो रामा पेश कर अपने गायन को विराम दिया। मोनिका शाह के साथ तबले पर संगीता अग्निहोत्री और हारमोनियम पर रचना शर्मा ने संगत की।
सुधि श्रोताओं की अच्छी मौजूदगी से सजे इस कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी संजय पटेल ने निभाई। आभार शोभा चौधरी ने माना।