छत्रपति शिवाजी महाराज ने लोक कल्याणकारी राज्य का आदर्श पेश किया : होसबोले

  
Last Updated:  July 6, 2023 " 08:57 pm"

इंदौर : डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान माला “चिंतन-यज्ञ” के दूसरे और अंतिम दिन रविवार, 2 जुलाई को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने ‘शिवराज्याभिषेक का संदेश’ विषय पर अपने विचार रखे।

लोक कल्याणकारी राज्य का आदर्श पेश किया।

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे अपराजित योद्धा थे, जिन्होंने  “हिन्दवी-स्वराज्य” की पुनर्स्थापना कर स्वदेशी व स्वधर्म आधारित लोक कल्याणकारी शासन तंत्र का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया । स्वतंत्रता प्राप्ति के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का संदेश अतिप्रासंगिक व अनुकरणीय प्रतीत होता है।

अवतारी पुरुष थे छत्रपति शिवाजी महाराज।

होसबाले ने कहा कि जिस तरह प्रभु श्रीराम ने धरती को राक्षस विहीन करने का संकल्प लिया, भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म संस्थापना का कार्य किया, उसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की।वे असल में अवतारी पुरुष थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की घटना ऐतिहासिक घटना थी, मोहम्मद कासिम से प्रारंभ हुए विदेशी आक्रमण सतत चलते रहें, पृथ्वीराज चौहान ने उन आक्रमणों का प्रतिरोध किया, किंतु पृथ्वीराज चौहान के बाद भारतीयों को लगने लगा कि वे केवल पराधीन होने के लिए ही हैं। पूरे समाज में निराशा का माहौल था।ऐसे में मात्र 15 वर्ष की आयु में शिवबा ने रोहिडेश्वर के शिव मंदिर में अपनी अंगुली के रक्त से भगवान का अभिषेक कर “हिंदवी स्वराज” की स्थापना का संकल्प लिया।

होसबोले ने अपने व्याख्यान में शिवाजी के जीवन की विभिन्न घटनाओं – पहलुओं को विश्लेषणात्मक रूप से वर्णित किया। औरंगजेब द्वारा मंदिरो का विध्वंस, सामान्य नागरिकों को पीड़ा पहुंचाने पर भी शिवाजी उद्वेलित नहीं होते थे बल्कि औरंगजेब के अपने पालें में आने की प्रतीक्षा करतें थे।शिवाजी महाराज को लेखकों ने भगवान विष्णु की तरह जन प्रतिपालक कहा है।

समाज के लिए छत्र के समान थे इसलिए छत्रपति कहलाए।

होसबोले ने कहा कि शिवाजी महाराज के मन में सम्राट बनने की इच्छा नहीं थी पर विदेशी सत्ता को समाप्त करने के लिए वे राजा बनें। उन्हे छत्रपति की उपाधि दी गई, क्योंकि वे सम्पूर्ण समाज के लिए छत्र के समान थे।

आदर्श शासन व्यवस्था कायम की।

उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने जल सिंचन की व्यवस्था, नौकायन, भूमि की नाप, मुद्रा,कर, मंत्रिमंडल जैसी आदर्श व्यवस्था अपने शासनकाल में प्रारंभ की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मालवा के बलिदानी शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन किया गया, इस फिल्म में देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वालें महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन परिचय का चित्रण किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया।विषय प्रस्तावना रखते हुए विनय पिंगले ने बताया कि अपने स्व का गौरव विस्मृत होने से राष्ट्र की प्रगति अवरुद्ध हो जाती है । हमारा प्रयास है कि भारत का गौरव उसके यथार्थ रूप में नागरिकों के समक्ष आए।

कार्यक्रम के अध्यक्ष उद्योगपति व समाजसेवी प्रकाश केमकर ने कहा कि छत्रपति शिवाजी पर अनेक ग्रंथ लिखे गए जो आज भी प्रेरणास्पद हैं। मेडीकेप्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिलीप पटनायक विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। एकल गीत की प्रस्तुति अमित आलेकर ने दी।कार्यक्रम का संचालन अर्चना खेर ने किया।सुजीत सिंहल ने समिति की ओर से आभार व्यक्त किया। श्रुति केलकर द्वारा वन्दे मातरम् के सामुहिक गान के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

इस अवसर पर हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष ईश्वर हिन्दुजा, शहर के प्रबुद्धजन और बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

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