इंदौर : जनसंख्या नियंत्रण वक्त की जरूरत है। हम हर साल एक नया ऑस्ट्रेलिया पैदा कर रहे हैं। ऐसे में हम कितना भी विकास कर लें, कितने भी संसाधन जुटा लें, कम पड़ेंगे। बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति करना हमेशा एक चुनौती होगी। हालांकि इसके लिए लोगों को शिक्षित व जॉगरुक करने की जरूरत है।
ये कहना है कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विवेक तनखा का। वे शनिवार को इंदौर प्रवास के दौरान इंदौर प्रेस क्लब के प्रेसन सेम मिलिए कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे।
जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम में सभी की सहमति जरूरी।
विवेक तनखा का कहना था कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए इसे वोट बैंक की राजनीति से दूर रखा जाना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि वह सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर बातचीत करें और आम सहमति बनाकर जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को चलाए। इसे विवादों से दूर रखा जाना जरूरी है। उन्होंने संजय गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को बलपूर्वक लागू करने का प्रयास किया था। उसका खामियाजा भी कांग्रेस को भुगतना पड़ा था और इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।
लोगों को शिक्षित व जागरूक करना जरूरी।
सांसद तनखा ने कहा कि केवल कानून बना देने से कुछ हासिल नहीं होगा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को शिक्षित व जागरूक करना जरूरी है। केरल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। वहां शिक्षा और जागरूकता के चलते जनसंख्या वृद्धि में कमीं आई है।
दलीय राजनीति में उतार- चढ़ाव आते रहते हैं।
कांग्रेस के कमजोर होने और विपक्ष की भूमिका ठीक से नहीं निभा पाने के सवाल पर विवेक तनखा का कहना था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों के जीवन में उतार- चढ़ाव आते रहते है। कांग्रेस दशकों तक सत्ता में रही है इसलिए विपक्ष की भूमिका में ढलने में उसे थोड़ा समय लगा लेकिन ये कहना ठीक नहीं है कि वह विपक्ष की भूमिका प्रभावी ढंग से नहीं निभा पा रही है।
चुनाव आयोग मोदी सरकार का तोता बन गया है।
एक सवाल के जवाब में केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए विवेक तनखा ने कहा कि इस सरकार के रहते तमाम संवैधानिक संस्थाओं का क्षरण हुआ है। न्यायपालिका और जांच एजेंसियों में भी सरकार का दखल बढा है। चुनाव आयोग तो एक तरह से सरकार का पपेट अर्थात तोता बन गया है। जो सरकार चाहती है, वही वह करता है।
कोई स्टैंड न लेना भी एक रणनीति है।
ये पूछे जाने पर की धारा 370, राम मंदिर व जनसंख्या नियंत्रण कानून जैसे बड़े मुद्दों पर कांग्रेस कोई स्टैंड क्यों नहीं ले पाती, सांसद तनखा का कहना था कि कभी- कभी कोई स्टैंड न लेना भी रणनीति के तहत होता है।
कमलनाथ की क्षमताओं पर कोई संदेह नहीं।
ये पूछे जाने पर की क्या वर्तमान परिस्थितियों में कमलनाथ को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना ज्यादा फायदेमंद होगा..? तनखा का कहना था कि ये कांग्रेस हाईकमान को तय करना है कि वह किसे पार्टी की बागडौर सौंपता है, लेकिन जहां तक कमलनाथ की क्षमताओं की बात है, उसपर उन्हें कोई संदेह नहीं है। वे हरतरह से काबिल हैं।