जिंदगी के असल मायने समझा गया ‘वेटिंग फ़ॉर गोडो’

  
Last Updated:  July 25, 2021 " 12:45 am"

इंदौर : अनवरत थिएटर ग्रुप ने बीसवीं सदी के सबसे प्रभावशाली अंग्रेजी नाटक ‘वेटिंग फ़ोर गोडो’ का हिन्दी रूपांतरण के साथ मंचन किया। नाटक के पात्रों ने जीवन दर्शन पर केन्दित कहानी को जीवंत स्वरूप प्रदान किया।

अभिनव कला समाज के रंगमंच पर खेले गए एक घंटा चालीस मिनट अवधि के इस नाटक की शुरुआत मे दो मुख्य पात्र लादिमीर और एस्टोगान ने एक अन्य पात्र गोडो़ का अन्तहीन इन्तज़ार करते हुए इन्सानी भावनाओं को प्रस्तुत किया। करीब तीस मिनट अवधि के इस सीन में कलाकारों की शारीरिक भाव भंगिमा और संवाद तारीफे-काबिल थे।नाटक के मध्य में दो पात्र पोजो और लक्की इंसान गुलामी के दौर से स्वतंत्रता तक के विभिन्न किस्से बयां करता है। नाटक का आखरी दौर फिर से मुख्य पात्र पर केन्दित हो जाता है और अंततः गोडो नहीं आता है।नाटक में कलाकारों ने ज़िन्दगी के माइने और मतलब को सफलतापूर्वक निभाया और आइना दिखाया। नाटक में संगीत और लाइट का प्रभावी संयोजन किया गया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।

थिएटर के कलाकार थे – हितेश डोभाल (एस्टौगांन) पियूष सिंह (ब्लादिमीर) आतुल पैठारी (पोजो़) विवेक सिकरवार (लक्की) युवराज भारदृज (ब्वाँय)।मंच परिकल्पना किशान ओझा, संगीत सोनू हारिया और लाइटस एवं निर्देशन नीतेश उपाध्याय का था। मेकआप बीष्ठा मोर्या एवं भूमिका राजपूत का था।
बीसवी सदी के सबसे प्रभावशाली अंग्रेजी नाटक का पहला अनुवाद लेखक कृष्ण बलदेव वेद ने किया था लेकिन उसकी प्रति अनुपलब्ध होने की वजह से रंगकर्मी हीतेश डोभाल और पीयूष सिंह प्रवीण कुमार ने किया।

प्रारम्भ में स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, राष्ट्रीय समन्वयक संजीव आचार्य और अभिनव कला समाज के प्रधानमंत्री अरविंद अग्निहोत्री ने नाटक का शुभारंभ किया। अंत में सोनाली यादव ने आभार व्यक्त किया।

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