सानंद के मंच पर निर्मिती सावंत और वैभव मंगल के अभिनय की नजर आई बेहतरीन जुगलबंदी।
इंदौर : जिंदगी को हम एक ही ढर्रे पर चलते हुए देखते आए हैं। इसके चलते हम भी जिंदगी को उसी तर्ज पर जीने लगते हैं।
खासतौर पर वृद्धावस्था के दौरान अब जिंदगी में क्या रखा है अब कैसे जिंदगी कटेगी? बच्चे हमें पूछेंगे की नहीं? ऐसे कई प्रश्न बुजुर्ग दंपत्ति के मन में उभरते हैं। सानंद के मंच पर पेश किया गया नाटक संध्या छाया इन सभी प्रश्नों के उत्तर बडे ही सकारात्मक तरीके से देता है।
मराठी के ख्यात अभिनेता व लेखक प्रशांत दळवी ने इस नाटक को लिखा है। वे समाज में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे लेकर लिखते है और साथ में समाधान भी बताते हैं।
नाटक संध्या छाया एक ऐसे दंपत्ति की कहानी है जो बहुत ज्यादा भविष्य के बारे में नहीं सोचते और ना ही जो हो चुका है उसके बारे में चिंतन करते हैं। यह दंपत्ति उद्देश्यपरक जिंदगी जीते हैं। वे यह नहीं सोचते कि उन्हें कौन साथ देगा या कौन उनकी देखभाल करेगा बल्कि स्वयं जिंदगी को अपने तरीके से जीने का प्रयास करते हैं।
नाटक में प्रमुख भूमिका वैभव मांगळे और निर्मिती सांवत ने निभाई है। दोनो ही मंजे हुए कलाकार हैं। नाटक में दोनों का तालमेल, संवाद अदायगी और अभिनय खासा प्रभावित करते हैं। नाटक आपको केवल सोचने पर मजबूर नहीं करता बल्कि आपको गुदगुदाता भी है।
नाटक का निर्देशन चंद्रकांत कुलकर्णी का है। उन्होंने नाटक को इतनी कसावट के साथ निर्देशित किया है कि दर्शक अंत तक कुर्सी से चिपके रहते हैं।
देवी अहिल्या विवि के खंडवा रोड स्थित अॉडिटोरियम में पेश किए जा रहे इस नाटक के शनिवार और रविवार को सानंद के दर्शक समूहों के लिए दो – दो शो मंचित किए जाएंगे।