जीवन की कठिनाइयों से पार पाकर आगे बढ़ना ही असली सफलता है

  
Last Updated:  March 7, 2025 " 11:51 pm"

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष।

इंदौर की पूजा गर्ग बनीं है साहस और संघर्ष की मिसाल।

इंदौर : “थोड़ा सा और बिखर जाऊं, मैंने यही ठानी है,
ऐ जिंदगी थोड़ा रुक, मैंने अभी हार कहां मानी है।”

इंदौर की बेटी पूजा गर्ग पर यह पंक्तियां एकदम फीट बैठती है। अपने अटूट हौसले और संघर्ष से उन्होंने समाज के लिए मिसाल कायम की है। 14 वर्षों से स्पाइनल इंजरी और बोन कैंसर से लड़ते हुए भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को एक इंटरनेशनल खिलाड़ी, मोटिवेशनल स्पीकर और समाजसेवी के रूप में स्थापित किया।

संघर्ष की कहानी: दर्द से प्रेरणा तक।

2010 में एक दुर्घटना के कारण पूजा की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी, जिससे वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गईं। लेकिन जिंदगी की इस परीक्षा को उन्होंने अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। हाल ही में उन्हें बोन कैंसर का भी पता चला, बावजूद इसके, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने खुद से वादा किया कि वे अपने संघर्ष से दूसरों को प्रेरणा देंगी और कैंसर पीड़ितों के लिए एक नई रोशनी बनेंगी।

खेलों में शानदार प्रदर्शन।

शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, पूजा ने कयाकिंग और केनोइंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और उज़्बेकिस्तान व जापान में चौथा स्थान प्राप्त किया। यही नहीं, उन्होंने पिस्टल शूटिंग में भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीते और खुद को एक रिनाउंड शूटर के रूप में स्थापित किया।

कैंसर जागरूकता यात्रा।

अपनी सकारात्मक सोच को आगे बढ़ाते हुए, पूजा ने इंदौर से नाथुला तक कैंसर अवेयरनेस यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य कैंसर पीड़ितों को यह संदेश देना था कि बीमारी चाहे कितनी भी बड़ी हो, उससे लड़ने का हौसला कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इस पहल ने न केवल मरीजों में आत्मविश्वास बढ़ाया बल्कि समाज को भी एक नया दृष्टिकोण दिया।

“ट्रिपल सी” – कैंसर काउंसलिंग सेंटर की स्थापना।

पूजा जल्द ही “ट्रिपल सी” (Cancer Counseling Center) की शुरुआत करने जा रही हैं, जहां कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को मानसिक और भावनात्मक सहयोग दिया जाएगा। यह केंद्र मरीजों को सिखाएगा कि कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती कि उसे पार न किया जा सके।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल।

पूजा गर्ग का मानना है कि “दिव्यांगता शरीर की होती है, आत्मा की नहीं। जब हम चल नहीं सकते, तो उड़ने की कोशिश करनी चाहिए। कठिनाइयां हमें ईश्वर द्वारा दिए गए बेस्ट रोल हैं, और हमें इसे अपने बेहतरीन प्रदर्शन में बदलना चाहिए।”
उनकी यह सोच आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है। महिला दिवस के अवसर पर, उनका जीवन संदेश देता है कि कोई भी बाधा इतनी बड़ी नहीं होती कि उसे पार न किया जा सके।

सम्मान और पहचान।

पूजा गर्ग को उनके योगदान और संघर्ष के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है। उनकी कहानी हर उस महिला के लिए सबक है, जो कभी हालातों के आगे हार मान जाती हैं।

पूजा गर्ग की कहानी यह बताती है कि “हौसला, मेहनत और लगन से हर मुश्किल को हराया जा सकता है।” इस महिला दिवस पर, उनकी यह संघर्ष गाथा हर उस महिला को समर्पित है, जो अपने सपनों के लिए लड़ रही है।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *