जोधा- अकबर के गीत ने दिया करियर को ऊंचा मुकाम – जावेद अली

  
Last Updated:  November 13, 2019 " 04:27 pm"

इंदौर : जाने माने पार्श्वगायक जावेद अली का कहना है कि रियलिटी शोज आपको घर- घर पहुंचाते हैं। बाद में आपका टैलेंट आपको आगे ले जाता है। अरिजीत सिंह, सुनिधि चौहान और श्रेया घोषाल जैसे ख्यातनाम गायक रियलिटी शोज की ही देन हैं। इसलिये ये कहना सही नहीं है कि रियलिटी शोज टैलेंट को उभारने में मददगार नहीं होते। जावेद अली महेश्वर में चल रहे निमाड़ उत्सव में प्रस्तुति देने आए हैं। महेश्वर रवाना होने से पूर्व बुधवार शाम वे प्रेस वार्ता के जरिये पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।

जोधा- अकबर के गीत ने दी करियर को नई ऊंचाई।

जावेद अली ने बताया कि आशुतोष गोवारिकर ने फ़िल्म जोधा- अकबर के लिए पहले उनसे एक कव्वाली गवाई थी पर किसी कारणवश वह कव्वाली फ़िल्म का हिस्सा नहीं बन पाई। उसकी जगह आशुतोष जी ने उनसे ‘कहने को जश्न- ए- बहारा’ गीत गवाया। फ़िल्म का ये गीत सुपरहिट साबित हुआ जिसने उनके करियर को ऊंचे मुकाम पर पहुंचा दिया।

‘कजरारे’ गाते हुए लगा था डर।

जावेद अली ने एक सवाल के जवाब में बताया कि अमिताभ बच्चन- ऐश्वर्या राय पर फिल्माए गए लोकप्रिय गीत ‘कजरारे, कजरारे तेरे कारे- कारे नैना’ गाते हुए उन्हें पहले तो डर लगा पर बाद में किशोर दा के गाए एक गीत से प्रेरणा लेकर उन्होंने ‘कजरारे’ को उसी अंदाज में गाया। वो गाना भी सुपर- डुपर हिट रहा।

रहमान ने बदला कव्वाली का अंदाज।

अपनी गायी फेमस कव्वाली ‘मौला मेरे मौला’ के बारे में जावेद अली का कहना था कि इसे अलग अंदाज में गवाने का श्रेय ख्यात संगीतकार एआर रहमान को है। उन्होंने कव्वाली को नया कलेवर दिया।

युवा कुछ नया सुनना चाहते हैं।

रीमिक्स या अन्य तरह के गीतों के बढ़ते चलन को लेकर जावेद अली का कहना था कि युवाओं की चाहत बदलती रहती है। उनकी कुछ नया सुनने की इच्छा के चलते ही गीतों में भी नया अंदाज झलकता है। यह बदलाव का दौर है। हर 6 माह में संगीत बदल रहा है।

अच्छे गीत लंबे समय तक चलते हैं।

जावेद अली ने कहा कि बदलाव के दौर में भी अच्छी शायरी, अच्छी कविता और अच्छे गीत अपना वजूद बनाए रखते हैं। उनकी उम्र भी लंबी होती है।

गुलाम अली से प्रभावित होकर बदला नाम।

जावेद अली ने बताया कि उनका असल नाम जावेद हुसैन है। वरिष्ठ गजल गायक गुलाम अली से वे बेहद प्रभावित थे। उनसे किसी न किसी तरह का जुड़ाव रखने की दिली इच्छा ने ही उन्हें अपना नाम बदलने पर मजबूर किया। पिता हामिद हुसैन से हरी झंडी मिलने के बाद उन्होंने अपने नाम के साथ अली जोड़ लिया।

शास्त्रीय संगीत बुनियाद है।

नवोदित गायकों को नसीहत देते हुए जावेद अली ने कहा कि शास्त्रीय संगीत हर तरह के संगीत की बुनियाद है। जिसका शास्त्रीय गायन पक्ष मजबूत है वह किसी भी तरह के गाने गा सकता है।

बच्चों की क्षमता और रुचि अलग- अलग होती है।

कजरारे फेम जावेद अली ने बच्चों के पालकों को सलाह देते हुए कहा कि हर बच्चे की क्षमता और रुचि अलग- अलग होती है।उसी को पहचानकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। संगीत वक़्त और समर्पण मांगता है। बच्चों से चमत्कार की उम्मीद न करें।

पिता ने विनम्र होना सिखाया।

एक सवाल के जवाब में जावेद अली ने कहा कि सफलता, कलाकार में विकार भी ले आती है। उनके पिता हामिद हुसैन जो अच्छे कव्वाली गायक रहे हैं, हमेशा कहते थे कि कितने भी बड़े बन जाओ पर अपनी विनम्रता को नहीं खोना। उनकी इसी सीख पर वे हर समय अमल करने की कोशिश करते हैं।

प्रेस वार्ता के पूर्व ख्यात संस्कृतिकर्मी संजय पटेल और वरिष्ठ पत्रकार सुनील जोशी ने जावेद अली का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। सूत्रसंचालन रसिका गावड़े ने किया। आभार अभिषेक गावड़े ने माना।

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