लिट चौक के कार्यक्रम में बोली देश की पहली ट्रांसजेंडर जज मोईता मंडल।
इंदौर : स्थानीय अखबार दैनिक प्रजातंत्र द्वारा गांधी हॉल परिसर में बिछाई गई लिट चौक की जाजम पर पहले दिन विभिन्न विषयों पर गहन विचार मंथन हुआ। बाहर से आए अतिथि विद्वानों में देश की पहली ट्रांसजेंडर न्यायाधीश जोईता मंडल ने सबका ध्यान आकर्षित किया। जोईता ने इंदौर की स्वच्छता की ब्रांड एंबेसडर, ट्रांसजेंडर संध्या घावरी के साथ बातचीत में बेबाकी से अपनी जिंदगी और ट्रांसजेंडरों की समस्याओं को सामने रखा।
ट्रांसजेंडर्स को मिले समान अधिकार, आरक्षण का लाभ।
पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर में लोक अदालत की जज के बतौर कार्यरत जोईता मंडल ने कहा कि सामान्य महिला – पुरुषों की तरह ट्रांसजेंडरों को भी समान अधिकार मिलने चाहिए। उन्हें भी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। उन्हें पारिवारिक संपत्ति में हक मिले। बैंकों से लोन मिले और सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए। ट्रांसजेंडरों के लिए विवाह कानून भी सरकार को बनाना चाहिए ताकि वे वैधानिक रूप से शादी के बंधन में बंध सके। अगर सरकार और समाज का सहयोग मिले तो ट्रांसजेंडर भी सम्मान के साथ जिंदगी बसर कर सकते हैं। उन्होंने राज्यों में ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड गठित करने का भी सुझाव दिया।
ट्रांसजेंडर के लिए समाज बदले अपना नजरिया।
ट्रांसजेंडर जज जोईता मंडल ने अपने जिंदगी के संघर्ष को बयां करते हुए कहा कि उन्हें किन्नर होने की वजह से परिवार और समाज दोनों में तिरस्कार, उपहास और उपेक्षा झेलनी पड़ी। 2009 में घर छोड़ा तो होटल में कमरा नहीं मिला। फुटपाथ पर दिन गुजारने पड़े। इस्लामपुर में किन्नर डेरे की गुरु की मदद से दुबारा पढ़ाई शुरू की। लॉ किया और जज बनीं। जोईता ने कहा कि आज उन्हें समाज में सम्मान मिलता है तो वो उनके पद की वजह से है। मेरे जैसी कई जोईता हैं जो आगे बढ़ना चाहती हैं। काम धंधा करके समाज में इज्जत से रहना चाहती हैं। समाज को चाहिए कि वो किन्नरों के प्रति अपनी सोच बदले। किन्नर भी इज्जत और प्यार के भूखे हैं। उन्हें सरकार और समाज अपनाएं तो बदलाव आ सकता है।