मालवा उत्सव का आज होगा रंगारंग आगाज

  
Last Updated:  May 25, 2022 " 04:00 pm"

होलकर कालीन बाड़े के रूप में सजेगा मंच।

इंदौर गौरव दिवस पर हो रहे आयोजन मे देवी अहिल्याबाई भी दिखेगी मंच पर।

जनजाति शिल्प एवं लौह शिल्प रहेगा आकर्षण का केंद्र।

मेला प्रतिदिन सांय 4:00 बजे से प्रारंभ।

मालवीय व्यंजनों के साथ देशभर के व्यंजनों का स्वाद होगा मैं उत्सव में।

इंदौर : लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी के नेतृत्व में इस वर्ष मालवा उत्सव का आयोजन बुधवार, 25 मई को लालबाग परिसर इंदौर में होने जा रहा है

सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इस वर्ष मालवा उत्सव इंदौर गौरव दिवस के अंतर्गत मनाया जा रहा है । सांस्कृतिक संध्या का प्रारंभ शाम को होगा, जिसमें गुजरात का गरबा ,महाराष्ट्र का कोली एवं लावणी, बधाई, जनजातीय नृत्य, गणगौर एवं इंदौर के कलाकारों को मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा ।

होलकर कालीन बाड़े से सजा मंच।

लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लवंगडे ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए तैयार किया गया मंच इंदौर गौरव उत्सव से प्रेरित होकर होलकर कालीन बाड़े के रूप में दिखाई देगा इसमें जहां महेश्वर घाट नजर आएगा तो शिव मंदिर भी दृष्टिगोचर होगा। होलकर कालीन बाड़े की भव्यता को दर्शाते दो हाथी द्वार पर बैठे नजर आएंगे ।वही मंच के मध्य देवी अहिल्या बाई भी दिखाई देगी। इसमें कई झरोखे भी होंगे। मंच 100×80 पर बनाया गया है, जिसकी ऊंचाई करीब 45 फीट है। रुशु आर्ट के करीब पचास कलाकारों ने दिन रात परिश्रम करके इस मंच को 10दिनो में तैयार किया है।

शाम 4:00 बजे होगा उत्सव का आगाज।

रितेश पाटनी एवं विशाल गिदवानी ने बताया कि शिल्प मेला प्रतिदिन सायंकाल 4:00 बजे से प्रारंभ होगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम सायंकाल 7:30 बजे से होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा रोड शो भी लालबाग में किया जाएगा।

शिल्प बाजार।

लोक संस्कृति मंच के कार्यालय प्रभारी सतीश शर्मा एवं कोषाध्यक्ष पवन शर्मा ने बताया कि शिल्प बाजार में इस वर्ष मुख्य आकर्षण अंतर्राष्ट्रीय शिल्पकार रहेंगे, जिसमें अफगानिस्तान से भव्य कालीन पाएंगे तो बांग्लादेश से भव्य जूट के आर्टिकल्स यहां मिलेंगे। लेबनान, सीरिया एवं नेपाल के शिल्प भी यहां होंगे। कश्मीर, कर्नाटक ,पश्चिम बंगाल ,आसाम के शिल्प होंगे इनमें पोचमपल्ली साड़ियां ,जूट वर्क की कलाकृतियां सहित छत्तीसगढ़ का लोहा शिल्प, महेश्वरी साड़ियां, नागालैंड का ड्राई फ्लावर ,पंजाब की फुलकारी ,हरियाणा टेराकोटा, पोकरण से मिट्टी शिल्प आकर्षण का केंद्र रहेंगे। वही आसाम का केन फर्नीचर बास शिल्प भी यहां उपलब्ध होगा।

बच्चों के मनोरंजन का भी इन्तजाम।

मालवा उत्सव में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले एवं विभिन्न प्रकार के खेल मौजूद रहेंगे। मालवी व्यंजनों के साथ देश भर के व्यंजनों का स्वाद भी यहां लिया जा सकेगा।

जनजाति कला को विशेष स्थान।

रितेश पिपलिया, कमल गोस्वामी एवं बंटी गोयल ने बताया कि इस वर्ष जनजातीय लोक कला को विशेष स्थान दिया गया है जिसमें करीब 50 से अधिक शिल्पकार एक अलग जोन में मौजूद रहेंगे एवं अपनी जनजाति कला को प्रदर्शित करेंगे। इनमें सिक्किम मणिपुर ,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,झारखंड, बिहार ,उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल के जनजातीय लोक शिल्प को देखने एवं खरीदने का मौका लोगों को मिलेगा।

मालवा उत्सव में विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए कंचन गिदवानी, पंकज फतेहचंदानी, दिलीप सारड़ा ,महेश जोशी, सोना कस्तूरी, जुगल जोशी, मुकेश पांडे ,विकास आदि को नियुक्त किया गया है।

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