तीन तलाक को पवित्र कुरान की भावनाओं के खिलाफ बताया

  
Last Updated:  April 4, 2017 " 10:07 am"

ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान अब नहीं खाएंगे गौवंश का मांस। देश के मुसलमानों से भी की अपील। तीन तलाक को पवित्र कुरान की भावनाओं के खिलाफ बताया

अजमेर में चल रहे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 805वें सालाना उर्स का समापन 4 अप्रैल को कुल की रस्म के साथ होगा। उर्स समापन से एक दिन पहले 3 अप्रैल को दरगाह दीवान और मुस्लिम धर्मगुरु सैयद जेनुल आबेदीन की सदारत में वार्षिक सभा हुई। इस सभा में देश की विभिन्न दरगाहों के सज्जादानशीन, सूफी एवं मुस्लिम धर्मगुरु उपस्थित रहे। इस सभा को संबोधित करते हुए दीवान आबेदीन ने कहा कि मैं और मेरा परिवार आज से ही गौवंश के मांस के सेवन को त्यागने की घोषणा करता हैं। इसके साथ ही देश के मुसलमानों से भी अपील करता हूं कि साम्प्रदायिक सद्भावना के खातिर कोई भी मुसलमान गौवंश का मांस न खाए। उन्होंने कहा कि भारत में गंगा-जमुनी तहजीब है और हिन्दू और मुसलमान इसी तहजीब के साथ रहते हैं। ऐसे में मुसलमानों को किसी भी विवाद की जड़ को ही खत्म कर देना चाहिए। दीवान आबेदीन ने सरकार से भी मांग की कि वह गौवंश के पशुओं के मांस की बिक्री पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दे। हाल ही में गुजरात सरकार ने गौ मांस को लेकर उम्रकैद का जो प्रावधान किया है उसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ गौवंश ही नहीं बल्कि सभी प्रकार के जानवरों की हत्या पर रोक लगनी चाहिए। मैं देशवासियों से अपील करता हूं कि वे किसी भी कारण से जानवर को नहीं काटे। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज ख्वाजा साहब ने भी देश की संस्कृति को इस्लाम के नियमों के साथ अपनाया और मुल्क में अमन और शांति का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि गौवंश हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है तो सभी धर्मो के मानने वालों को इसकी रक्षा करनी चाहिए।
कुरान के खिलाफ है तीन तलाक :
वार्षिक सभा में दीवान आबेदीन ने स्पष्ट कहा कि तीन तलाक पवित्र कुरान की भावनाओं के खिलाफ है। कुरान में तलाक को अति अवांछनीय माना गया है। जब निकाह लड़के और लड़की की रजामंदी से होता है तो तलाक के मामले में भी स्त्री के साथ विस्तृत संवाद होना ही चाहिए। पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब ने कहा था कि अल्लाह को तलाक सख्त नापसंद है। कुरान की आयतों में कहा गया है कि अगर पति-पत्नी में क्लेश हो तो उसे बातचीत के द्वारा सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए। जरूरत पडऩे पर समाधान के लिए दोनों परिवारों से एक-एक मध्यस्थ भी नियुक्त करें। समाधान की यह कोशिश कम से कम 90 दिन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अपनी बीबी को तलाक देने से पहले मर्दो को सौ बार सोचना चाहिए। दीवान आबेदीन ने कहा कि आज आम मुसलमान भी शिक्षा, रोजगार, तरक्की एवं खुशहाली चाहता है। मुस्लिम लड़कियां पढऩा और आगे बढऩा चाहती हंै। वे कुरान व संविधान सम्मत दोनो ही अधिकार चाहती हैं।
ये उपस्थित रहे धर्मगुरु :
दीवान आबेदीन ने उर्स के मौके पर जिस वार्षिक सभा को संबोधित किया,उसमें बरेली शरीफ के शाह हसनी मिया, गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक के मोहम्मद सब्बीरुल हसन, दिल्ली के अहमद नियाजी, हलकट्टा शरीफ आंध्रप्रदेश के सैयद तुराब अली, अमेठा शरीफ गुजरात के सैयद जियाऊद्दीन, जयपुर के बादशाह मिया, दरबारे बारिया चटगांव बांग्लादेश के सैयद बदरुद्दीन, शाबिर पाक कलियर के अलीशाह मिया, गुलबर्ग शरीफ स्थित ख्वाजा बंदा नवाज दराज की दरगाह के सज्जादानशीन सैयद शाह खुसरो हुसैनी, सैयद यदुलाह हुसैनी, दरगाह सूफी कमालुद्दीन चिश्ती के गुलाम नजमी फारूखी, नागौर शरीफ के पीर अब्दुल बाकी,दिल्ली स्थित दरगाह हजरत निजामुद्दीन के सैयद मोहम्मद नियाजी के साथ-साथ फुलवारी शरीफ यूपी, भागलपुर बिहार, उत्तरांचल आदि के धार्मिक स्थलों के धर्मगुरु भी उपस्थित थे। सभी ने दरगाह दीवान के संबोधन का स्वागत किया।

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