दसलक्षण पर्व आत्म साधना का पर्व है – मुनिश्री श्रुतधर नंदी

  
Last Updated:  September 2, 2022 " 05:14 pm"

रविवार सुबह नेत्ररोग निवारण और मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर लगेगा।

इंदौर : अंजनी नगर स्थित चंदाप्रभु मांगलिक भवन में विराजित मुनिश्री श्रुतधरनंदी महाराज ने प्रवचन में कहा, “आप लोग सोने-चाँदी-हीरे-जवाहरात के पीछे भागते हो। सोने-चाँदी को क़ीमती मानते हो, लेकिन मैं कहता हूँ क़ीमती सिर्फ़ अपनी आत्मा होती है। उसे ही क़ीमती समझे। जीवन धन्य हो जाएगा।”

सकल दिगम्बर जैन समाज महिला प्रकोष्ठ इंदौर की आइटी प्रभारी सलोनी जैन, अदिति जैन और युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष मनीष सोनी मावावाला ने बताया कि रविवार 4 सितम्बर को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक यही पर नेत्ररोग निवारण और मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर रखा गया है। इसमें सभी पीड़ितों का उपचार किया जाएगा। आज सुबह 6 बजे से धार्मिक क्रियाएँ शुरू हो गई थी। इसमें कलश-शांतिधारा-संगीतमय पूजन किया गया। इसके बाद मुनि श्री के प्रवचन हुए। मुनि श्री ने कहा कि उत्तम आर्जव धर्म है। आर्जव धर्म कहता है कि हमें माया चारी नहीं करना है। दसलक्षण पर्व आत्म साधना का पर्व है। आत्मा से परमात्मा बनने का पर्व है परिणामों को निर्मल करने का पर्व है। श्रावक बोलता कुछ है और करता कुछ है। आप शादी में जाते हैं, तो जूते पहन के भोजन करते हैं लेकिन जब साधु आपके घर भोजन करने आता है तब आपके घर के सारे जूते-चप्पल बाहर हो जाते हैं। सारा कीचड़ घर के बाहर हो जाता है। पहले के लोग बैठ के बिना आकुलता के भोजन करते थे, आजकल चलते फिरते करतें है। ध्यान रखना घूमते फिरते तो जानवर भोजन करते हैं। विचार करिए हमारी संस्कृति कहां जा रहे हैं? सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेना चाहिए जिससे आप बीमारियों से बच जाएंगे। अपने चेहरे से तो हर कोई अच्छा बन जाता है लेकिन हमें अपने चरित्र से अच्छा बनना है। शुरुआत में मांगलिक क्रियाए अंजनी नगर मंदिर के अध्यक्ष राजेश वेद परिवार द्वारा की गई।

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