दीपक शिरालकर की पुस्तक स्फटिक सी पारदर्शिता का विमोचन

  
Last Updated:  July 10, 2023 " 05:29 pm"

इंदौर : शहर के वरिष्ठ लेखक और साहित्यकार दीपक शिरालकर ने आरएसएस के साथ अपने पांच दशकों के जुड़ाव के चलते उसकी कार्यप्रणाली, संगठन क्षमता, अनुशासन और सेवा कार्यों को करीब से देखा व अनुभव किया है। अपने इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने एक किताब लिखी है। इसमें आरएसएस के प्रति भ्रांतियां, सच्चाई और उसकी कार्यपद्धति का विस्तार से वर्णन किया है। स्वयंसेवक के बतौर संघ से अपने जुड़ाव और अनुभवों को भी उन्होंने पुस्तक में लिपिबद्ध किया है। ‘स्फटिक सी पारदर्शिता’ नामक इस पुस्तक का विमोचन समारोह आरएनटी मार्ग स्थित हिंदी साहित्य समिति के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के मालवा प्रांत के संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री ने की। दैनिक स्वदेश के पूर्व संचालक रमेश गुप्ता कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। विशेष अतिथि के बतौर मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे मौजूद रहे।

मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के बाद अतिथियों ने दीपक शिरालकर लिखित पुस्तक ‘स्फटिक सी पारदर्शिता’ का विमोचन किया।

हिंदुत्व को लेकर प्रतिबद्ध है संघ।

इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि रमेश गुप्ता ने संघ के प्रशिक्षण वर्ग, उसकी कार्यप्रणाली और हिंदुत्व को लेकर उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

सेवा, संस्कार, शिक्षा और समर्पण का दूसरा आम है आरएसएस।

विशेष अतिथि मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कहा कि सेवा, संस्कार, शिक्षा और समर्पण संघ की विशेषता है। समाज को जागरूक करने में संघ के स्वयंसेवक लगातार जुटे रहते हैं। किसी भी आपदा में संघ के स्वयंसेवक पीड़ितों की मदद के लिए सबसे आगे रहते हैं।

संघ के प्रति व्याप्त भ्रांतियां मिटाने में यह पुस्तक उपयोगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मालवा प्रांत के संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दीपक शिरालकर लिखित पुस्तक ‘स्फटिक सी पारदर्शिता’ आरएसएस के प्रति समाज के कुछ वर्गों में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि 98 साल के सफर में संघ ने कई बाधाओं को पार कर जनमानस में अपनी पैठ बढ़ाई है। संघ की स्वीकार्यता बढ़ने के साथ उसका कार्यक्षेत्र भी भारत की सीमा लांघकर विश्व के 40 देशों में फैल गया है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में ख्यात कवयित्री डॉ. शशि निगम ने मालवी में स्वरचित सरस्वती वंदना पेश की। अतिथियों का स्वागत विजय भावे, पंकज नीमा, गणेश मस्तूद और किरण जोशी ने किया। संचालन मीनल मुकेश क्षीरसागर ने किया। आभार विजय भावे ने माना।

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार अष्ठाना,हरेराम वाजपेई,प्रभु त्रिवेदी, विश्वनाथ शिरढोनकर, समाजसेवी मधुसूदन तपस्वी, पत्रकार मुकेश तिवारी, अर्पण जैन, अनिल धड़वईवाले, सचिन घाटे सहित कई प्रबुद्धजन, लेखक, कवि, मित्र, परिचित और स्वजन उपस्थित रहे।

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