इंदौर : एक दिगंबर जैन संत ने परदेशी पुरा क्षेत्र स्थित एक धर्मशाला में शनिवार शाम फांसी लगा ली। संत का नाम आचार्य श्री विमद सागर महाराज बताया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, वह इंदौर में चातुर्मास के सिलसिले में आए थे।
आत्महत्या के कारणों का खुलासा अभी नहीं हो सका है।
CSP निहित उपाध्याय ने बताया कि धर्मशाला में संत का शव पंखे से लटका हुआ था और दरवाजा अंदर से बंद था। समाज के लोगों ने उन्हें फंदे से उतारा। मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है इसलिए कानूनी तरीके से पूरी जांच होगी।
उपाध्याय के अनुसार नंदा नगर में जैन मंदिर के नजदीक एक धर्मशाला में जैन मुनि रुके हुए थे।
जानकारी मिलने के बाद परदेशीपुरा थाना प्रभारी सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे। एफएसएल की टीम को भी बुला लिया गया था।
शिष्य अनिल जैन ने पंखे से फंदे पर लटके देखा।
45 साल के जैन संत सागर जिले के शाहगढ़ के रहने वाले थे। 3 दिन पहले वह एरोड्रम स्थित एक कॉलोनी से इंदौर के 3 नंबर गली नंदा नगर में चातुर्मास के लिए आए थे। शनिवार शाम साढ़े 4 बजे उनके शिष्य अनिल जैन ने उन्हें पंखे से फंदे पर लटके देखा। इसपर उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
जैन सन्त की संदिग्ध मौत की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौके पर पहुंच गए थे।
रोजाना सुबह होते थे प्रवचन।
पाश्वनार्थ दिगंबर जैन मंदिर नंदानगर प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक आचार्य विमद सागर महाराज 27 अक्टूबर को एरोड्रम क्षेत्र के लीड्स से नंदानगर स्थित मंदिर आए थे। यहां रोजाना सुबह 9 से 10 बजे तक उनके प्रवचन होते थे। इसके बाद वे एक दिन छोड़कर आहारचर्या करते थे। शनिवार को भी वे आहारचर्या पर गए थे। दोपहर करीब ढाई बजे सामयिक के लिए पहुंचे। शाम को समाजजनों को घटना का पता चला।
नमक, तेल, शक्कर का आजीवन त्याग किया था।
समाजजनों ने बताया कि आचार्य ने नमक, तेल, शक्कर, दूध का आजीवन त्याग कर रखा था। आचार्य के आहारचर्या के दौरान उनका आहार भी शुद्धता के साथ तैयार किया जाता था। आचार्यश्री खड़े होकर साधना करते थे।
8 माह पहले चातुर्मास के लिए इंदौर आए थे।
गुमाश्ता नगर स्थित दिगंबर जैन महावीर जिनालय के अध्यक्ष प्रतिपाल टोंग्या के मुताबिक 8 माह पहले आचार्य विमद सागर जी रतलाम से विहार कर इंदौर आए थे। यहां चातुर्मास के दौरान वे रुके। यहां रोजाना प्रवचन, आहारचर्या होती थी। बीते 25 दिन पहले ही गुमाश्ता नगर मंदिर से विहार हुआ था।
1992 में लिया था ब्रह्मचर्य का व्रत।
आचार्य 108 विमद सागर जी महाराज का गृहस्थावस्था में संजय कुमार जैन नाम था। उनका जन्म 9 नवंबर 1976 को हुआ था। उनकी मां का नाम सुशीला और पिता शीलचंद जैन हैं। पिता मलेरिया इंस्पेक्टर रह चुके हैं। उन्होंने 9वीं तक पढ़ाई की थी। उन्होंने 8 अक्टूबर 1992 में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लिया था।