इंदौर : G-20 देशों के एग्रीकल्चर समूह की तीन दिवसीय बैठक बायपास स्थित होटल शेरेटन में सोमवार से प्रारंभ हुई। विभिन्न देशों के 89 प्रतिनिधि इस बैठक में भाग ले रहे हैं।बैठक का औपचारिक शुभारंभ मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया।
सदस्य और आमंत्रित देशों के प्रतिनिधि कर रहे शिरकत।
बैठक के उद्घाटन के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि G-20 समूह के देशों की अध्यक्षता इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत कर रहा है।इसकी थीम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य रखी गई है। उन्होंने कहा कि इस एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की बैठक में G-20 सदस्य देशों के साथ 10 आमंत्रित देश और 12 अंतरराष्ट्रीय कृषि संगठनों के कुल 89 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। बैठक में खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।
इंदौर व मप्र के लिए गौरव का विषय।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि इंदौर व मप्र के लिए गौरव का विषय है कि यह बैठक इंदौर में होने जा रही है। उन्होंने कहा कि इंदौर आगमन पर मेहमानों का जिसतरह अतिथि देवो भव: की परंपरा के अनुरूप स्वागत किया गया उससे वे अभिभूत हैं। बैठक के पूर्व सुबह सभी मेहमानों को बोलिया छत्री, कृष्णपुरा छत्री, राजवाड़ा और आसपास के क्षेत्र में हेरिटेज वॉक भी करवाया गया, जिससे वे इंदौर,मप्र के ऐतिहासिक वैभव से परिचित हो सकें। मेहमानों को यह सब देखकर बेहद खुशी का अनुभव हुआ है। उन्हें मांडव की सैर भी करवाई जाएगी। दरअसल, यह बैठक भारत, मप्र व इंदौर के खानपान, सभ्यता, संस्कृति और समृद्ध ऐतिहासिक विरासत से दुनिया को परिचित कराने का भी बड़ा अवसर है।
मप्र के गेहूं की दुनिया में मांग।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कृषि हमारी प्राथमिकता है।मप्र के गेहूं की दुनियाभर में मांग है। हमारे बासमती चावल की महक से विश्व आकर्षित है। बालाघाट की चिन्नौर चावल प्रजाति को जीआई टैग भी मिला हुआ है। कृषि के क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल के साथ जो नवाचार हमने किए हैं, उन्हें दुनिया गौर से देख भी रही है और सीख भी रही है।
दुनिया को बता रहे मिलेट्स की विशेषताएं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यह वर्ष मिलेट्स याने मोटे अनाज को समर्पित है। इसके चलते हम दुनिया को मोटा अनाज जैसे ज्वार, बाजरा,रागी, कंगनी, कुट्टू, कुटकी, कोदो आदि की विशेषताओं और उपयोगिता के बारे में बता रहे हैं। इन्हें सुपर फूड कहा जाता है क्योंकि इनमें पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। लहरीबाई नामक महिला ने तो इनका बीज बैंक बना लिया। प्रधानमंत्री ने भी इसका जिक्र किया है। इन्हें हम बढ़ावा दे रहे हैं। मोटा अनाज के व्यंजन हम विभिन्न कार्यक्रमों में परोसते हैं और उन्हें भेंट भी करते हैं।
प्राकृतिक खेती में मप्र नंबर वन।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दावा किया कि जैविक खेती में भी मप्र नंबर वन है। उससे भी एक कदम आगे बढ़कर हम प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। केमिकल युक्त कीटनाशक और खाद के अत्यधिक प्रयोग से खेती विषैली और मानव स्वास्थ्य के लिए घातक होती जा रही है। इसको देखते हुए प्रकृति से जुड़े पदार्थों,घनामृत, जीवामृत गोबर, गौमूत्र आदि से निर्मित कीटनाशक और खाद का उपयोग खेती में हो इस पर जोर दिया जा रहा है। आज प्रदेश में 60 हजार किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इससे मानव स्वास्थ्य ठीक रहने के साथ जैव सरंक्षण भी हो सकेगा।
दुनिया की खाद्यान्न जरूरत को पूरा करने में भारत का अहम रोल।
सीएम शिवराज ने कहा कि दुनिया में खाद्यान्न की मांग तेजी से बढ़ रही है। पहले भारत खाद्यान्न का आयात करता था, अब विश्व की खाद्यान्न जरूरत को पूरा करने का काम कर रहा है। खाद्यान्न की मांग 2030 तक ये बढ़कर 345 बिलियन टन हो जाएगी। इसको पूरा करने में भारत और मप्र अहम रोल अदा करेगा। बीते समय में हमने 21 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था। मप्र में खेती का रकबा बढ़ाने का काम भी हमने किया है। बीते 18 साल में बुवाई का रकबा बढ़कर 299 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पहले 192 लाख हेक्टेयर था, वहीं खाद्यान्न का उत्पादन भी 619 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो 18 साल पहले 159 लाख मीट्रिक टन था।