इंदौर : दूध उपभोक्ताओं की रोज की अनिवार्य जरूरत है। गर्मी से पहले प्रति लीटर 3₹ बढ़ाना उपभोक्ता की जेब पर डाका डालना है, जबकि इस साल ठंड के दिनों में भाव कम नहीं किए गए थे। इस बढ़ोतरी से ग़रीब परिवारों का बजट बिगड़ेगा और दुग्ध उत्पादक किसानों को भी कुछ नहीं मिलेगा।
खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविन्द मालू ने कहा कि जब दूध उत्पादक किसानों से शुद्ध दूध लिया जाता हैं, तो उसका फैट कम कौन करता है! उसमें सप्रेटा दूध कौन मिलाता है। हर साल दूध के भाव बढ़ने का लाभ किसकी जेब में जाता है! इन सारी बातों की जाँच की जाना चाहिए। मालू ने कहा कि यदि दुग्ध उत्पादक किसानों से दुग्ध कारोबारियों को शुद्ध दूध नहीं मिलता तो कारोबारी उसके पैसे काट लेते हैं। उनकी पूरी केन का पैसा काट लिया जाता है। इसके बावजूद उपभोक्ता को साढ़े 6 फैट तो दूर 3 फैट का भी दूध उपलब्ध नहीं होता। यह उपभोक्ता पर दोहरी मार है। उससे पैसे भी ज्यादा लिए जा रहे हैं और शुद्ध दूध भी नहीं मिल रहा। किसानों को उनके उत्पादन का पूरा मूल्य मिले इससे आपत्ति नहीं। लेकिन, गत अगस्त में जब भाव कम होने थे, तो क्यों नहीं हुए।अभी गर्मी पूरी तरह शुरू नहीं हुई और भाव बढ़ा दिए गए हैं। दूध गरीब बच्चों का आहार है। उनके साथ नाइंसाफी और गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता।
गुलाबी हो सप्रेटा दूध का रंग।
भाजपा नेता मालू ने कहा कि दूध की जांच लेबोरेटरी में होना चाहिए और मिलावट रोकने के लिए सप्रेटा दूध का रंग गुलाबी करना चाहिए। दूध के भाव ज्यादा देने से भी जनता को आपत्ति नहीं, बशर्ते उसे उच्च मानक का दूध मिले। नगर निगम प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। नगर निगम को एक सिस्टम बनाना चाहिए, ताकि जांच करने वालों पर भी अंकुश लगे और आम लोगों को शुद्ध दूध उपलब्ध हो! क्योंकि, शहर में मिलावटी दुग्ध की कई शिकायतें हैं।
मालू ने कहा एक समय दूध की नदियां बहने वाले इंदौर के आसपास दूध का उत्पादन दिनों दिन कम हो रहा है। क्योंकि, दूध कारोबारी, किसानों को दूध का पूरा मूल्य नहीं देते और खली, भूसे के भाव बढ़ते जा रहे हैं। यदि दूध उत्पादकों और पशु पालकों का संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाले समय मे इंदौर में दूध के टैंकर बुलाने पड़ेंगे। उन्होंने इस संबंध खाद्य मंत्री और कृषि मंत्री को पत्र लिखा है। साथ ही जिला प्रशासन से भी इस पर तुरंत संज्ञान लेकर उपभोक्ता के साथ न्याय किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि न तो दुग्ध उत्पादक किसानों के साथ अन्याय होना चाहिए और न उपभोक्ताओं के साथ। लेकिन, इस आड़ में पनप रहे दूध माफिया पर अंकुश लगना चाहिए।