इंदौर : देवी अहिल्याबाई होलकर की शासन व्यवस्था आज भी अनुकरणीय है। उनके शासन काल की न्याय व्यवस्था, अर्थ प्रबंधन, कर प्रणाली, महिला सशक्तिकरण, आधारभूत संरचनाओं का विकास, शिक्षा, मजूबत सैन्य बल, कुप्रथाओं पर लगाम कसने और दहेज लेने – देने पर दंड के कानून सहित अन्य व्यवस्थाएं वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। अहिल्याबाई ने अपने जीवन में कई आघात सहे पर उससे डगमगाए बिना वे हर बार मजबूत बनाकर उभरी। ये बात नागपुर से आई वक्ता मनीषा कोठेकर ने कही। वे जाल सभागृह में आयोजित अभ्यास मंडल की 63 वी व्याख्यानमाला के अंतिम दिन गुरुवार को ‘भारतीय स्त्री का प्रतिमान देवी अहिल्याबाई’ विषय पर बोल रहीं थीं। सुश्री कोठेकर ने अपने धाराप्रवाह उद्बोधन में देवी अहिल्याबाई के जीवन काल के ऐसे कई अनछुए पहलुओं को रेखांकित किया जो आम तौर पर लोगों की जानकारी में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई का अर्थ प्रबंधन आज भी प्रेरणास्पद है। उन्होंने कभी भी घाटे का अर्थ प्रबंधन नहीं किया। उनकी कर प्रणाली भी ऐसी थी, जिससे लोगों को परेशानी न हो। उद्योग – धंधों को बढ़ावा देने के साथ वे लोगों को हुनरमंद बनने के लिए प्रेरित करती थीं। महेश्वर में बुनकरों को बसाकर साड़ी उद्योग को बढ़ावा देने का काम अहिल्याबाई ने किया। सुश्री कोठेकर ने कहा कि देवी अहिल्याबाई की न्याय व्यवस्था ऐसी थी जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट रहते थे। जरूरत पड़ने पर वे कठोर कदम उठाने में भी नहीं हिचकिचाती थी। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए। उससमय प्रचलित सती प्रथा और दहेज प्रथा के खिलाफ उन्होंने कड़े कदम उठाए। दहेज लेना – देना उन्होंने दंडनीय अपराध घोषित किया। विधवा महिलाओं को उनके अधिकार दिलाए। विधवा महिला द्वारा दत्तक नहीं लिए जाने के नियम में उन्होंने बदलाव किया।अहिल्याबाई ने राज्य की सुरक्षा के लिए महिलाओं सेना भी खड़ी की। देवी अहिल्याबाई के धार्मिक, पारमार्थिक और आधारभूत संरचनाओं से जुड़े कार्यों का हवाला देते हुए सुश्री कोठेकर ने कहा कि अहिल्याबाई शिव की उपासक थी। उन्होंने 12 ज्योतिर्लिंगों में श्रद्धालुओं के लिए घाट, धर्मशालाएं, सड़क आदि का निर्माण करवाया। सोमनाथ मंदिर के साथ चारों धाम के जीर्णोद्धार का काम भी अहिल्याबाई ने किया। काशी से कोलकाता तक सड़क निर्माण का श्रेय भी देवी अहिल्याबाई को जाता है। उन्होंने कहा कि राजपरिवार की महिलाओं के लिए खाजगी कोष (स्त्री धन) की व्यवस्था भी देवी अहिल्याबाई ने करवाई। राजस्व का एक हिस्सा राज परिवार की महिलाओं को मिले और उसका उपयोग वे अपने स्तर पर कर सकें इसकी पहल अहिल्याबाई ने की। इसी खाजगी कोष से उन्होंने धार्मिक और पारमार्थिक कार्यों को अंजाम दिया। कार्यक्रम का संचालन माला सिंह ठाकुर ने किया। आभार रामेश्वर गुप्ता ने माना।
देवी अहिल्याबाई का अर्थ प्रबंधन आज भी प्रेरणास्पद है : कोठेकर
Last Updated: September 6, 2024 " 08:32 pm"
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