देवी अहिल्याबाई के जीवन प्रसंगों पर पेश की गई गीत, संगीत व नृत्य की मनोहारी बानगी

  
Last Updated:  June 1, 2024 " 11:26 pm"

इंदौर : देवी अहिल्या बाई होलकर की त्रि शताब्दी जयंती की पूर्व संध्या पर सैकड़ों कलाकारों ने गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से देवी अहिल्याबाई के जीवन प्रसंगों की मनोहारी बानगी पेश की।

इसके पूर्व महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पहले स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इंदौर की आराध्य देवी, सुशासन की प्रतिमूर्ति, न्यायमूर्ति, लोकमाता, पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी जयंती देश भर में धूमधाम से मनाई जा रही है। हमारी परिषद का सौभाग्य है कि त्रिशताब्दी महोत्सव मनाने का सौभाग्य हमें मिला है।माँ अहिल्या ने अभाव और कष्ट में रह कर भी कुशल प्रशासक होने की अलग छाप छोड़ी। कई मंदिरों का निर्माण व जीर्णोद्धार किया जो आज हम सभी को एक सूत्रों में बाँधते हैं।माँ अहिल्या से कामना करता हूँ की इंदौर की जनभागीदारी व उत्सव प्रेम ऐसा ही बना रहे।

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि स्वच्छ धर्म पारायण राज्य कैसे होता है ये माँ अहिल्या ने कर दिखाया। उनके राज्य में निर्मित तालाब, कुएं और बावड़ियां आज भी पानी की आपूर्ति कर रहे हैं।नौलखा पर नौ लाख पेड़ लगाना देवी अहिल्याबाई की ही देन थी। दुर्भाग्य है कि इंदौर में अब वो स्तिथि नहीं है। इंदौर अब बहुत गर्म हो गया है इसको ठंडा करने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे।

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि तीन सौ साल पहले एक ज्योति के रूप में महाराष्ट्र में प्रज्वलित हो कर इंदौर आ गई देवी अहिल्याबाई ने केवल इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने सत् वचन का प्रकाश फैलाया। उनके काम को पूरे हिंदुस्तान में जा कर याद करना वक्त की जरूरत है।

17 समूह के 175 कलाकारों ने प्रस्तुति।

समारोह के औपचारिक शुभारंभ के बाद लोकमाता अहिल्या बाई होलकर के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर नृत्य, संगीत, वादन और गायन के माध्यम से 17 समूह के 175 कलाकारों ने अपने गुरुओं के साथ मंच पर प्रस्तुति दी।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद आतिशबाजी कर मिठाई वितरण किया गया।

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