इंदौर : कोरोना वायरस लगभग हर तीन माह में खुद को जिंदा रखने के लिए अपना रूप बदलता रहता है। दक्षिण अफ्रीका में पाया गया ओमीक्रोन नामक वैरिएंट कोरोना का ऐसा ही प्रतिरूप है। भारत में यह वैरिएंट फिलहाल नहीं आया है पर इससे डरने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन ही इससे बचाव का उपाय है। जिन्होंने अभी तक वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं लगवाया है, वे जल्द लगवा लें। ये कहना है एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीपी पांडे का। वे अवर लाइव इंडिया के साथ चर्चा कर रहे थे।
ज्यादा घातक नहीं है नया वैरिएंट।
डॉ. पांडे ने कहा कि दक्षिण अफ़्रीका में पाया गया नया वैरिएंट उतना घातक नहीं है, जितना इसे प्रचारित किया जा रहा है। अफ्रीका में इसकी पहचान दो माह पूर्व ही हो गई थी। अब वहां इसपर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है। डॉ. पांडे के मुताबिक जिन लोगों ने वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए हैं, वे संक्रमित हो भी गए तो उनपर वायरस का ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि उनमें एंटीबॉडी विकसित हो चुकी होगी। अतः लोग घबराए नहीं मास्क लगाएं और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें।
तीसरी लहर की संभावना कम।
डॉ. पांडे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश में दूसरी लहर के दौरान करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे और बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई थीं पर अब वह स्थिति नहीं है। ज्यादातर लोग वैक्सिनेटेड हो चुके हैं। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण भी आने वाले दिनों में हो जाएगा। पिछले दिनों एक सर्वे में पाया गया था कि बच्चों में एंटीबॉडी विद्यमान है। वे संक्रमित होते भी हैं तो जल्द उससे बाहर आ जाएंगे। ऐसे में तीसरी लहर की संभावना कम ही है।अगर ऐसा हुआ भी तो उस तरह की स्थिति बनने की कोई संभावना नहीं है, जो दूसरी लहर के समय बनीं थीं।
अस्पतालों में हैं पर्याप्त इंतजाम।
डॉ. पांडे के अनुसार नए वैरिएंट की आमद होती भी है तो इस बार तैयारी पूरी है। बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की भरपूर उपलब्धता है। अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लग गए हैं। बेड बड़ी संख्या में उपलब्ध है। ट्रीटमेंट के स्तर पर भी सुधार आया हैं। नई दवाइयां आ गई हैं, जो कोरोना संक्रमण से कारगर ढंग से निपट सकती हैं। जरूरत सावधानी और सतर्कता बरतने की है। लोग खुद वैक्सीन लगवाएं और अपने साथी मित्रों को भी प्रेरित करें।
बूस्टर डोज लगवाना चाहिए।
डॉ. पांडे ने सुझाव दिया कि 60 वर्ष से ऊपर के लोग और डायबिटीज, किडनी, हार्ट व अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज जिन्हें सेकंड डोज लिए 6 माह या उससे ज्यादा समय हो गया है, को कोरोना के नए- नए वैरिएंट को देखते हुए बूस्टर डोज लगवाना चाहिए। विकसित देशों में यह सिलसिला शुरू हो गया है। वहां सरकारें खुद सीनियर सिटीजन और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को बूस्टर डोज लगवा रहीं हैं।