वर्तमान में मित्रता को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है- स्वामी भास्करानंद

  
Last Updated:  January 11, 2021 " 08:18 pm"

इंदौर : सच्चा मित्र निश्छल, निस्वार्थ और निष्कपट रिश्ते में बंधा होना चाहिए। अब मित्रता के मायने बदल गए हैं। सच्चे मित्र बहुत कम बन पाते हैं। मित्रता तन और धन से नहीं, मन से होना चाहिए। आज के युग में मित्रता को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। संसार के रिश्ते समुद्र की लहरों की तरह बनते-बिगड़ते और ऊपर-नीचे होते रहते हैं। कृष्ण-सुदामा की मित्रता इसलिए अनुकरणीय और वंदनीय है कि वह राजमहल और झोपड़ी, राजा और प्रजा तथा अमीर और गरीब के बीच की विषमता को दूर करने का संदेश देती है। भागवत मनोरंजन नहीं, मनोमंथन का विषय है।
ये दिव्य विचार हैं श्रीधाम वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंदजी के, जो उन्होंने रेसकोर्स रोड खेल प्रशाल के सामने स्थित ‘अनंत’ परिसर में समाजसेवी ब्रम्हलीन बालकिशन-सूरजदेवी गोयल की पुण्य स्मृति में चल रही संगीतमय भागवत कथा में सुदामा चरित्र प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा में कृष्ण-सुदामा मैत्री का भावपूर्ण प्रसंग देख और सुनकर अनेक लोगों की आंखें छलछला उठी। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी राजेश चेलावत, सुरेंद्र संघवी, विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग, सुभाष बजरंग, के.के. गोयल, अरविंद बागड़ी, अनिल राठी, बृजकिशोर गोयल, प्रकाश नाहर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। मेहमानों की अगवानी अरूण-ममता गोयल ने की। कथा में साध्वी कृष्णानंद ने भी अपने प्रभावी विचार रखे। संयोजक अरूण गोयल मामा ने आयोजन समिति की ओर से महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद एवं इंदौर की बेटी साध्वी कृष्णानंद का शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।

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