पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गेंद केंद्र के पाले में डाली

  
Last Updated:  January 28, 2022 " 02:51 pm"

नई दिल्ली : अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने गेंद पुनः केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा, इस पर केंद्र सरकार फैसला करे। हम अपनी तरह से कोई पैमाना तय नहीं करेंगे। कोई भी फैसला करने से पहले उच्च पदों पर नियुक्ति का आंकड़ा जुटाना जरूरी है। यानी वस्तु स्थिति बरकरार रहेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 6 बिंदू तय किए हैं। अब अलग-अलग मुद्दों पर इन बिंदुओं के आधार पर देखा जाएगा कि केंद्र या राज्य सरकार ने क्या किया है। ऐसे मामलों की सुनवाई अब 24 फरवरी से होगी।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने 26 अक्टूबर 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह के साथ ही मध्य प्रदेश, झारखंड समेत विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ वकीलों ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि यह सच है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लोगों को अगड़ी जातियों के स्तर पर नहीं लाया जा सका है। वेणुगोपाल ने तर्क दिया था कि एससी और एसटी समुदायों के लोगों के लिए ग्रुप “ए” श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है। अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट एससी, एसटी और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रिक्त पदों को भरने के लिए कुछ ठोस आधार दे।

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