पुरुषवादी समाज में महिलाओं को आंका जाता है कमतर..

  
Last Updated:  May 1, 2024 " 01:40 am"

जन्म के पहले ही महिलाओं का शुरू हो जाता है उत्पीड़न।

निर्भया केस नहीं होता तो लक्ष्मी एसिड अटैक पीड़िता को न्याय नहीं मिलता।

संविधान ने महिला – पुरुषों को दिए हैं समान अधिकार पर उनका नहीं होता अनुपालन।

अभ्यास मंडल की मासिक व्याख्यानमाला में बोली सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नवप्रीत कौर

इंदौर : एक पुरुष एक महिला पर इसलिए एसिड अटैक कर रहा है, क्योंकि उसने लड़के को जन्म नहीं दिया, वह उससे शादी करने को तैयार नही है। अब तो इसलिए भी महिलाओं पर एसिड अटैक हो रहे है क्योंकि वह शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में पुरुषों से आगे निकल रही है। दरअसल कुछ पुरुषों की मानसिकता ही ऐसी हो गई कि वह किसी महिला को आगे बढते हुए देखना ही नहीं चाहते।
यह बात सुप्रीम कोर्ट की अभिभाषक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नवप्रीत कौर ( चंडीगढ )ने कही। वे मंगलवार को इंदौर प्रेस क्लब के सभागार में अभ्यास मंडल के मासिक व्याख्यान में ‘भारत में महिलाओं पर हिंसात्मक हमले’ विषय पर बोल रही थी।

महिलाओं के साथ पक्षपात होता रहा है।

डॉ.कौर ने आगे कहा कि महिलाओं के साथ हमेशा से पक्षपात होता आया है और आज भी जारी है। जन्म के पहले ही भ्रूण में उसे मार दिया जाता है। शादी के बाद दहेज की आड़ में महिला को मारा जा रहा है। हालाँकि हमारे संविधान में महिला और पुरुष को बराबर अधिकार दिये गए हैं, लेकिन हमारा समाज पुरुष के मुकाबले महिला को कम आंकता है।
आज भी पुत्र जन्म को शुभ माना जाता है और पुत्री जन्म को बोझ। अगर पढाई की बात हो तो लड़के को प्राथमिकता दी जाती है। लड़की को आगे बढ़ने के अवसर कम मिलते हैं। यह बताता है कि हमारा समाज पुरुष प्रधान सोच से बाहर नहीं निकल पाया है।

डॉ. कौर ने कहा कि लड़कियों पर एसिड अटैक इसलिए होते ताकि उसके चेहरे को बदसूरत कर दिया जाए ताकि वह किसी से साथ विवाह नही कर सके। क्योंकि हमारा समाज लड़की के चेहरे की सुंदरता पहले देखता है। एसिड से चेहरा ही नही झुलसता, बल्कि हड्डियां तक गल जाती हैं। एक एसिड अटैक महिला को 10 से 12 सर्जरी करानी पड़ती है और प्रत्येक सर्जरी का खर्च 2 से 3 लाख रुपये आता है।

डॉ कौर ने कहा कि वर्ष 2005 मे 15 साल की उम्र में लक्ष्मी पर 32 वर्ष के युवक ने एसिड हमला किया था, क्योंकि उसने उसे शादी करने से मना कर दिया था। लक्ष्मी ने 2006 मे कोर्ट मे पी आई एल लगाई, लेकिन फ़ैसला आया वर्ष 2013 में, उसके पहले दिसंबर 2012 में निर्भया केस हो गया था। अगर निर्भया केस नही होता तो शायद लक्ष्मी एसिड हमले का फैसला भी नही होता।

डॉ. कौर ने कहा कि लड़कियों को आगे बढ़ने के अवसर हमें अधिक देने होंगे। महिला और पुरुष दोनों मिलकर ही एक सुंदर समाज का निर्माण कर सकते हैं। श्रोता बिरादरी द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों के संतोष जनक उत्तर भी डॉ. कौर ने दिए।

अतिथि स्वागत अभ्यास मंडल की मनीषा गौर, डॉ. पल्लवी आढाव ने किया। अतिथि परिचय दिया अंजिक्य डंगावकर ने। डॉ. ओ. पी. जोशी ने प्रतीक चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन वैशाली खरे ने किया और आभार रामेश्वर गुप्ता ने माना। कार्यक्रम में अशोक कोठारी, डॉ माला सिंह ठाकुर, अनिल मोड़क, शफी शेख, प्रवीण जोशी, हरेराम वाजपेयी, हबीब बेग, मुरली खंडेलवॉल, दीप्ति गौर, आलोक खरे, श्याम पांडे सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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