पुरुषोत्तम मास ईश्वर के समीप रहकर भक्ति करने का श्रेष्ठ समय है- चैतन्य महाराज

  
Last Updated:  September 28, 2020 " 03:49 pm"

इंदौर : कृष्ण और सुदामा की मित्रता राजा और प्रजा के मिलन की प्रतीक है। भगवान कृष्ण ने राजा होते हुए भी अपने महल के दरवाजे उनके लिए खोल दिए। आजकल के राजा भी यदि अपने जरूरतमंद मित्रों के लिए राजमहलों के दरवाजे खोल दें तो सही मायने में प्रजातंत्र सार्थक हो उठेगा। पुरूषोत्तम मास भगवान के और नजदीक रहकर उनकी भक्ति करने का सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है।
राऊ रंगवासा स्थित किष्किंधा धाम मंदिर परिसर पर रामानंदीय पीठ के महंत ब्रम्हलीन जामवंतदास महाराज की प्रेरणा से भागवताचार्य चैतन्य महाराज ने अपने आॅनलाइन प्रवचन में ये विचार व्यक्त किए। पुरूषोत्तम मास के अवसर पर किष्किंधा धाम पर संगीतमय भागवत ज्ञानयज्ञ का यह आयोजन किया गया। प्रारंभ में महंत गिरधारीलाल, राजेंद्र गर्ग, पं. योगेश शर्मा आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। गौसेवा के निमित्त आचार्य चैतन्य महाराज 10 अक्टूबर से यशवंत सागर स्थित हनुमान मंदिर पर भी भागवत ज्ञानयज्ञ में सान्निध्य प्रदान करेंगे। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर गौशालाओं के सहायतार्थ भागवत ज्ञानयज्ञ के आयोजन का संकल्प किया है।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *