पुलवामा के शहीदों को सैल्यूट करने साइकल यात्रा पर निकली प्रतिभा

  
Last Updated:  March 2, 2020 " 08:44 am"

इंदौर : महाराष्ट्र का पुणे शहर कला, साहित्य और संस्कृति की लंबी विरासत को सहेजने, संवारने और आगे बढाने में अग्रणी रहा है। यहां के लोग पढ़े-लिखे होने के साथ जागरूक भी हैं। इसी शहर की बेटी हैं प्रतिभा ढाकने, जो साइकल पर सवार होकर निकल पड़ी है उन जवानों को सैल्यूट करने जो एक वर्ष पूर्व पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।

इंदौर प्रेस क्लब ने किया प्रतिभा का स्वागत।

पुणे से चलकर शिरडी, धुले, धामनोद होते हुए इंदौर आई प्रतिभा ढाकने का इंदौर प्रेस क्लब में स्वागत किया गया। अध्यक्ष अरविद तिवारी ने पुष्पगुच्छ भेंटकर प्रतिभा का स्वागत किया और उनके जज्बे की सराहना की।

‘सैल्यूट टू इंडियन आर्मी’…

प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए पर प्रतिभा ने कहा कि पुलवामा अटैक के बाद वे शहीदों को नमन करने उसी समय निकलने वाली थी लेकिन परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनीं की अब जाकर वे यात्रा प्रारम्भ कर पाई हैं।उन्होंने इंडियन आर्मी को सैल्यूट करते हुए कहा कि उनके जज्बे के आगे मेरा प्रयास कुछ भी नहीं है।

साढ़े अठारह सौ किमी का तय करेगी सफर।

प्रतिभा ने बताया कि उनकी ये साइकल यात्रा पांच राज्यों से होकर गुजरेगी।साढ़े अठारह सौ किमी का सफर करते हुए वे पुणे महाराष्ट्र से मप्र, राजस्थान, हरियाणा होते हुए पंजाब के अमृतसर पहुंचेंगी। वहां अटारी बॉर्डर जाकर शहीदों को नमन करेंगी। प्रतिभा ने बताया कि वे रोज औसत 175 किमी की दूरी साइकल से तय करती हैं।प्रतिभा ने बताया कि वे इसके पहले भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक करीब 3500 किमी का सफर साइकल से पूरा कर चुकी हैं।

नो मनी, नो फ्यूल, नो पॉल्यूशन का दे रही सन्देश।

साइकलिस्ट प्रतिभा ढाकने ने बताया कि साइकल चलाने में किसी तरह का खर्च नहीं आता, ईंधन की बचत होती है और प्रदूषण नहीं होता। साइकलिंग अच्छा व्यायाम होने से सेहत भी अच्छी रहती है। यही कारण है कि वे सफर के दौरान ‘नो मनी, नो फ्यूल, नो पॉल्यूशन’ का भी सन्देश दे रहीं हैं।

सुरक्षा का रखती हैं ध्यान।

प्रतिभा ने बताया कि वे सफर के दौरान सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती हैं। साइकल चलाते समय हेलमेट पहनती हैं। दिन में सफर करती हैं और शाम ढलते ही जो भी गांव या शहर नजदीक होता है वहां रुक जाती हैं। प्रतिभा के मुताबिक टायर पंचर होने पर वे खुद ही उसे ठीक कर लेती हैं, अगर ज्यादा परेशानी आती है तो पैदल साइकल लेकर उस स्थान तक पहुंच जाती हैं, जहां उसे ठीक कराया जा सके। उन्होंने बताया कि महिला होने से उन्हें सुरक्षा को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं आई। हालांकि वे आत्मसुरक्षा के तरीके जानती हैं। उनका प्रशिक्षण उन्होंने लिया है। वक्त पड़ने पर खुद की सुरक्षा कर सकती हूं। प्रतिभा का कहना है कि घरवालों का उन्हें पूरा सपोर्ट मिलता है।

साइकलिंग क्लब करते हैं मदद।

प्रतिभा ने बताया कि वे सफर के दौरान जिस भी शहर में पहुंचती हैं, वहां के साइकलिंग क्लब उनकी हरतरह से मदद करते हैं। इंदौर में भी सुपर राइडर्स क्लब के मनोज मिश्रा और साइकलिस्ट चंद्रेश झुरानी ने उनका स्वागत करने के साथ अन्य साइकलिस्ट साथियों से भी मिलवाया।

रेसिंग साइकल का करती है इस्तेमाल।

प्रतिभा ने बताया कि वे सफर में रेसिंग सायकल का इस्तेमाल कर रही हैं। जरूरत के मुताबिक उन्होंने साइकल में कुछ बदलाव अवश्य किये हैं। प्रतिभा ने कहा कि साइकलिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को पहल करनी चाहिए। शहरों के साथ राजमार्गों पर भी सायकल ट्रैक बनाए जाने चाहिए।

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