इंदौर में भी हड़ताल का व्यापक असर।
डॉक्टरों ने एमवाय अस्पताल परिसर में एकत्रित होकर की नारेबाजी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा बुरा असर, निराश लौटे मरीज।
इंदौर : स्वशासी चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर मप्र के 13 शासकीय मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों, स्वास्थ्य विभाग और ईएसआई अस्पतालों के 10 हजार से अधिक चिकित्सक बुधवार से हड़ताल पर चले गए। प्रदेश सरकार के साथ अपनी मांगों को लेकर बातचीत विफल होने के बाद चिकित्सकों ने कामबंद हड़ताल कर दी। इंदौर में भी एमजीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एमवायएच, पीसी सेठी सहित अन्य अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग के जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और अन्य सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के बैनर तले मेडिकल कॉलेज के तमाम चिकित्सकों ने एमवाय अस्पताल के गेट पर लामबंद होकर प्रदर्शन किया और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी हड़ताल को समर्थन दिया। जिसके चलते जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल का हिस्सा बन गए।
स्वास्थ्य सेवाएं बुरीतरह हुई प्रभावित।
डॉक्टरों की प्रदेशव्यापी हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरीतरह प्रभावित हुई। ऑपरेशन टाल दिए गए। यहां तक की इमरजेंसी सेवाएं भी ठप रहीं। पोस्टमार्टम भी नहीं हो पाए। इंदौर में एमवाय अस्पताल में ओपीडी में इलाज के लिए आए मरीजों को निराशा हाथ लगी। खासकर गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को खासी परेशानी उठाना पड़ी। यही हाल पीसी सेठी, जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों का भी रहा।
ये है डॉक्टरों की प्रमुख मांग।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, इंदौर के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि उनकी प्रमुख मांग डीएसीपी (डायनामिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) की है। इसके तहत डॉक्टर्स को समयबद्ध पदोन्नति और समयमान वेतनमान सहित कई बेहतर अवसर मिलते हैं। देश के अन्य राज्य इस योजना को लागू कर चुके हैं पर मप्र में इसे आज तक लागू नहीं किया गया है। प्रदेश सरकार इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं है, इसीलिए मजबूरन प्रदेशभर के सरकारी डॉक्टरों को हड़ताल पर जाना पड़ा।