अधिक से अधिक पेड़ लगाए और प्रदूषण कम करे।
द इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स के कार्यक्रम में बोले वक्ता।
इंदौर : धरती के लिए प्लास्टिक सबसे खतरनाक है,क्योंकि यह कभी नष्ट नहीं होता है। अतः हमें अपनी जीवन शैली ऐसी बनाना होगी,जिसमें प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल हो। प्लास्टिक बैग का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं करे और प्लास्टिक बॉटल का भी नही। यदि इतना भी हमने संकल्प ले लिया तो प्लास्टिक के उपयोग पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम 5 पेड़ लगाने का संकल्प ले,क्योंकि पेड़ सोखते तो कार्बन डाई ऑक्साइड हैं लेकिन देते जीवनदायिनी ऑक्सीजन हैं।
ये विचार विभिन्न इंजीनियर्स और पर्यावरणविदों के है,जो उन्होंने द इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स इंदौर लोकल द्वारा एक निजी होटल में आयोजित सेमिनार में व्यक्त किए।विषय था प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान क्या हो।
कुदरत हमें बहुत कुछ देती है, अधिकाधिक पेड़ लगाएं।
पर्यावरणविद डॉ.शंकर लाल गर्ग ने कहा कि प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है। हमने प्रकृति के साथ रहना बंद कर दिया। सुबह के समय सूर्य की रोशनी में विटामिन डी होता है लेकिन हम उसे ग्रहण नहीं करते और बाजार से विटामिन डी की गोलियां खरीदते हैं।एक पेड़ केवल हवा ही नही फल, फूल,लकड़ी ,औषधि सबकुछ देता है पर हम उस पर बेरहमी से कुल्हाड़ी चला रहे हैं।एक पेड़ की जड़ों में 10 हजार लीटर पानी होता है।अगर 10 पेड़ भी आपके यहां हैं तो सोचो आप पानी में कितने अमीर हो गए। प्लास्टिक की बॉटल से पानी पीकर हमारे अंदर प्लास्टिक का अंश भी जा रहा है।बेहतर है कि हम तांबे के पात्र में पानी पिए।ये सेहत के लिए भी फायदेमंद है।इंदौर शहर की आबादी 35 लाख है लेकिन पेड़ मात्र 6 लाख है,इसलिए आज पेड़ अधिक से अधिक लगाने की आवश्यकता है।
विकास के लिए पेड़ों को काटना गलत।
पत्रकार अमित मंडलोई ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमें हरे-भरे जंगल, कल कल बहती नदियां,पहाड़, झरने आदि दिए पर हम आने वाली पीढ़ी को जहर उगलने वाली गाड़ियां और सूखे जंगल सौंप रहे हैं, जो गलत है। विकास और इंजीनियर का गहरा संबंध है।इंजीनियर उसी सड़क,इमारत,पुल,बांध ,नहर को बनाए जो पर्यावरण के लिए अनुकूल हो।विकास के लिए पेड़ों को काटना कौनसी समझदारी है।
प्लास्टिक की जगह कपड़े के थैले का इस्तेमाल करें।
इंजिनियर आर पी गौतम ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यूएनओ की थीम है, प्लास्टिक फेको आगे बढ़ो।सिंगल यूज प्लास्टिक का बिलकुल उपयोग नहीं करे।दुनिया में लाखों मिलियन प्लास्टिक है, उसमे से 50 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक है।केवल 10 प्रतिशत प्लास्टिक ही रीसाइकल होता है।20 फीसदी प्लास्टिक नदी, तालाब,समुद्र और सागर में जाकर जीव जंतुओं के लिए खतरा बन रहा है।पॉलिथीन बैग्स की जगह कपड़े के थैले का इस्तेमाल करें।
एसजीएसआईटीएस के प्रो. सक्सेना ने कहा कि पेड़ों में पंचतत्व निहित है।उन्हें अपनी बांहों में भरने से हमारे अंदर भी पंचतत्व की ताकत आती है।
इंजीनियर विवेक तिवारी ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि वेस्ट प्लास्टिक और कंक्रीट के मिश्रण का इस्तेमाल निर्माण में होगा तो खनन भी कम होगा और धरती से प्लास्टिक भी।
इंजीनियर सिद्धांत गुप्ता ने कार्बन क्रेडिट के बारे में बताया।
अतिथि परिचय कार्यक्रम सयोजक डॉ.रक्षा पारोलकर ने दिया।अतिथि स्वागत आरएस चौहान,अजय जोशी और आरपी गौतम ने किया।अनिल वाधवा,दिनेश शुक्ला, एचआई मेहता ने प्रतीक चिन्ह प्रदान किए। संचालन आशुतोष कुटुंबले ने किया और आभार आरपी गौतम ने माना।