बालू रेती के दाम कम करवाएं प्रदेश सरकार

  
Last Updated:  December 19, 2022 " 07:20 pm"

खदान ठेकेदारों की मनमानी से महंगी बिक रही बालू रेती।

हड़ताली रेती व्यापारियों ने सरकार के समक्ष रखी मांग।

इंदौर : सात दिन से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे रेती मंडी के व्यापारियों ने सोमवार को इंदौर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के जरिए अपना पक्ष रखा।

एनजीटी की रोक हटने के बावजूद नहीं घटाए बालू रेती के दाम।

रेती मंडी व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन, इंदौर के संरक्षक रणजीत सिंह गुर्जर और अध्यक्ष अजय जाट ने बताया कि सीहोर, हरदा, होशंगाबाद आदि स्थानों पर रेत की खदानों से व्यापारी बालू रेत की खरीदी करते हैं। वर्षा काल के बाद एनजीटी की रोक हट जाने से बालू रेत के दाम कम हो जाते हैं। पर इस बार मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र सीहोर व अन्य जिलों के खदान ठेकेदारों ने मनमानी करते हुए बालू रेत महंगे दामों पर ही बेचना जारी रखा है। इस मौसम में बालू रेती का रेट 40 रूपए होना चाहिए वह 60 रूपए स्क्वेयर फीट के ऊपर है। इसके चलते व्यापारियों को रॉयल्टी के साथ एक गाड़ी करीब 50 हजार रूपए पड़ रही है जबकि पहले यह करीब 32 से 35 हजार रूपए में पड़ती थी। इसका असर सीधा निर्माण कार्यों पर पड़ रहा है। निजी हो या सार्वजनिक हर तरह के निर्माण कार्यों पर इसका विपरीत असर हो रहा है। लोग अपने आशियाने का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

सरकार को हो रहा राजस्व का नुकसान।

रेती व्यापारियों का कहना था कि उन्हें रॉयल्टी की रसीद भी खदान ठेकेदारों द्वारा नहीं दी जा रही है। हम डिजिटल माध्यम से भुगतान करना चाहते हैं लेकिन ठेकेदार कैश पेमेंट करने पर जोर देते हैं। इससे सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

नाकों पर प्राइवेट एजेंसी कर रहीं अवैध वसूली।

रेती व्यापारियों के मुताबिक खदान ठेकेदारों ने नाकों पर निजी एजेंसियों के कर्मचारी नियुक्त कर रखे हैं, जो अवैध वसूली में लगे रहते हैं। इन नाकों से गाड़ी तभी आगे बढ़ पाती है, जब एजेंसियों के कर्मचारियों को जेब गर्म की जाए।

खदान ठेकेदारों की बजाए व्यापारियों पर दंड लगाना अनुचित।

रेती व्यापारियों का कहना है कि वे केवल रेत का परिवहन करते हैं, बावजूद इसके खनिज विभाग उन पर पर्यावरण प्रदूषण के नाम पर दंड आरोपित कर देता है, जबकि पर्यावरण प्रदूषित खदान ठेकेदार कर रहे हैं। यह दंड उनसे वसूल किया जाना चाहिए। इसके अलावा खनिज विभाग बिना रॉयल्टी के भी दंड वसूलता है। वे रॉयल्टी चुकाकर रेत गाड़ी लेकर आते हैं। कई बार माल नहीं बिकने से गाडियां 24 घंटे से ज्यादा रेत मंडी पर खड़ी रहती हैं, ऐसे में उनकी गाड़ियों को बिना रॉयल्टी करार देकर लाखों रुपए दंड वसूला जाता है। इन दिनों भी उनकी चार से ज्यादा गाडियां खनिज विभाग ने जब्त कर रखी हैं।

बीजेपी शासन में वसूला जा रहा मनमाना शुल्क।

रेती व्यापारियों के अनुसार कांग्रेस के शासन काल में दंड शुल्क 50 हजार से एक लाख रुपए वसूला जाता था जो अब 2 से पांच लाख रुपए वसूला जाता है, यह अन्यायपूर्ण कदम है।

यातायात पुलिस बना देती है चालान।

रेती व्यापारियों का यह भी कहना था कि जगह के अभाव में उन्हें अपनी गाडियां कई बार सड़क किनारे खड़ी करनी पड़ती है पर ट्रैफिक जाम का हवाला देकर यातायात पुलिस भी उनकी गाड़ियों के चालान बना देती है। हर तरह के टैक्स का भुगतान करने के बावजूद उन्हें ही सबसे ज्यादा भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में कारोबार करना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है।

बालू रेत की जगह एम सैंड से हो रहे निर्माण कार्य।

रेती व्यापारियों का कहना है कि महंगी रेत बिकने के कारण सभी बड़े निर्माण कार्य एम सैंड (गिट्टी वाली चूरी) से हो रहे हैं। इससे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। अगर भविष्य में खराब गुणवत्ता के चलते कोई हादसा होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा इस बारे में सरकार को विचार करना चाहिए।

ये रखी मांगे :-

रेती व्यापारियों की मांग है कि प्रदेश सरकार खदान मालिकों पर दबाव बनाकर बालू रेती के रेट कम करवाएं, जो अभी उच्चतम स्तर पर बनें हुए हैं।

चेक नाकों पर अवैध वसूली बंद हो।

पर्यावरण प्रदूषण के नाम पर व्यापारियों पर दंड आरोपित न हो।

मनमाना दंड शुल्क वसूलने पर रोक लगे।

निर्माण कार्यों में एम सैंड का इस्तेमाल निर्धारित मापदंडों के अनुसार ही हो।

रेती मंडी के लिए जगह उपलब्ध कराए प्रशासन।

रेती व्यापारियों ने यह भी मांग रखी कि इंदौर में जिला प्रशासन रेती मंडी के लिए उपयुक्त जगह उपलब्ध कराएं। प्रतिदिन 500 से 600 गाडियां रेत भरकर आती हैं, उनके लिए कोई जगह नहीं होने से मजबूरी में रोड पर खड़ी करना पड़ती हैं। हमारी मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द रेती मंडी के लिए विस्तृत जगह उपलब्ध करवाए।

पत्रकार वार्ता में रेती मंडी व्यापारी वेलफेयर एसो. के उपाध्यक्ष प्रिंस टुटेजा, सचिव तरुण यादव व आकाश दुबे और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

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