रैली, संगोष्ठी और नुक्कड़ नाटक के जरिये मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का दिया गया संदेश

  
Last Updated:  October 10, 2019 " 02:01 pm"

इंदौर : मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विश्व के साथ हमारे देश में भी जागरूकता की बेहद कमीं है। मानसिक विकारों को अक्सर लोग भूत बाधा या ऊपरी हवा जैसे अंधविश्वास से जोड़कर तांत्रिक और कथित बाबाओं के चक्कर में फंस जाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ) की माने तो दुनिया में हर चौथा व्यक्ति जीवन के किसी न किसी मोड़ पर मानसिक विकार से प्रभावित होता है। अलग- अलग आयु समूहों में मानसिक विकारों का प्रतिशत अलग होता है। 10 से 19 वर्ष आयु समूह में करीब 16 फीसदी युवा मानसिक विकारों की चपेट में आ जाते हैं। जिसका परिणाम कई बार खुदकुशी के रूप में सामने आता है।
मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व मानसिक स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड फेडरेशन फ़ॉर मेन्टल हेल्थ) ने 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाने की परंपरा शुरू की। प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर निकाली गई जागरूकता रैली।

एमजीएम मेडिकल कॉलेज और मानसिक चिकित्सालय के संयुक्त बैनर तले मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर जागरूकता रैली निकाली गई। नेहरू प्रतिमा से प्रारंभ हुई ये रैली गीताभवन चौराहा होते हुए पुनः मधुमिलन चौराहा (नेहरू प्रतिमा) पर आकर समाप्त हुई। बाद में मानसिक चिकित्सालय में संगोष्ठी भी आयोजित की गई जिसमें विशेषज्ञों ने मानसिक विकारों के लक्षण, बचाव और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसी के साथ ‘मानसिक स्वास्थ्य और कानून’ पर भी वक्ताओं ने प्रकाश डाला। मानसिक चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. रामगुलाम राजदान ने बताया कि संगोष्ठी में मानसिक चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञ और कर्मचारियों के साथ ही पुलिस और न्यायिक सेवा से जुड़े लोगों ने भी शिरकत की।

देवी अहिल्या विवि में नुक्कड़ नाटक का मंचन।

वर्ल्ड मेन्टल हेल्थ डे पर देवी अहिल्या विवि के सोशल साइंस के तहत आने वाले साइकोलॉजी विभाग ने विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया। विवि के खंडवा रोड स्थित परिसर में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के लिए साइकोलॉजी के स्टूडेंट्स ने नुक्कड़ नाटक का मंचन किया। नाटक के जरिये समाज में भौतिक सफलता के स्थापित मापदंडों के खोखलेपन और उससे उपजने वाले मानसिक अवसाद को उजागर किया गया। विभागाध्यक्ष रेखा आचार्य, आयुषी मिश्रा और ज्योति घोड़के ने नुक्कड़ नाटक का तानाबाना बुनने के साथ छात्र – छात्राओं का मार्गदर्शन भी किया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की बात भी कही।

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