इंदौर : भारतीय जनता पार्टी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने नगर अध्यक्ष श्री गौरव रणदिवे की उपस्थिति में पत्रकार वार्ता के जरिए नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जाने को लेकर अपनी बात रखी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी है। सुप्रीम अदालत से आग्रह किया गया है कि मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव सम्पन्न हों। जीतू जिराती ने आरोप लगाया कि बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराए जाने की र्स्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है। मध्यप्रदेश में तो 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव प्रक्रिया चल ही रही थी। सरकार द्वारा इसके अंतर्गत वार्ड परिसीमन, वार्डों का आरक्षण, महापौर तथा अध्यक्ष का आरक्षण, मतदाता सूची तैयार करना आदि समस्त तैयारी कर ली गई थी। यहां तक की ओबीसी एवं अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भी दाखिल कर दिए गए थे गया पर कांग्रेस इसके विरूद्ध हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चली गई, जिससे प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी।
जीतू जिराती ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार ने विधानसभा में 8 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश लोकसेवा आरक्षण संशोधन विधेयक में यह भ्रामक और असत्य आंकड़ा प्रस्तुत किया कि अन्य पिछड़े वर्ग की मध्यप्रदेश में कुल आबादी सिर्फ 27 प्रतिशत है। यह कांग्रेस का वह असली ओबीसी विरोधी चेहरा है जो मध्यप्रदेश की विधानसभा के दस्तावेजों में सदैव के लिए साक्ष्य बन गया है।
भाजपा सरकार तथा संगठन हमेशा से नगरीय/ग्रामीण निकायों के चुनाव का पक्षधर रहा है। नगरीय निकायों के चुनाव प्रमुख रूप से नवम्बर 2019 को होना निर्धारित थे पर कांग्रेस सरकार द्वारा चुनाव नहीं कराये गए। भाजपा सरकार ने तो करोना काल के समय भी चुनाव कराए जाने की आरक्षण/परिसीमन की कार्रवाई पूर्ण कर ली थी पर कांग्रेस चुनाव कराने से हमेशा डरती है क्योंकि उसको पता था कि उसका जनाधार पूरी तरह से समाप्त हो चुका है, जिस प्रकार विधानसभा उपचुनाव में उनकी हार हुई थी उसी प्रकार निकाय चुनाव में भी वो बुरी तरह से पराजित होते। कमलनाथ सरकार द्वारा त्रुटिपूर्ण परिसीमन करते हुए नवीन पंचायतें बनाई गई एवं कई पंचायतों को समाप्त करते हुए उनकी सीमाओं में बदलाव किया गया जिससे ओबीसी को दिया जाने वाला आरक्षण प्रभावित हुआ। हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 21 नवम्बर 2021 को मध्यप्रदेश पंचायत राज्य और ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व में किए गए त्रुटिपूर्ण परिसीमन को निरस्त करते हुए यथास्थिति बनाई।