दो जनहित याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने दिया आदेश।
मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट देरी से जारी करने पर भी कोर्ट ने जताई नाराजगी।
इंदौर: बीते वर्ष रामनवमी पर हुए बेलेश्वर बावड़ी हादसे को लेकर दायर याचिकाओं का निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने मेजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बावजूद उसे उजागर नहीं किए जाने पर जिला व पुलिस प्रशासन और इंदौर नगर निगम के प्रति नाराजगी जताई। हाई कोर्ट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मजिस्ट्रियल जांच 11 जुलाई को पूरी होने के बावजूद अभी तक न कहीं पेश की गई, दोषियों के खिलाफ न कोई विभागीय कार्रवाई हुई और न कोई ट्रायल प्रारंभ हुआ।
30 मार्च तक आगामी कार्रवाई पूरी करें पुलिस व नगर निगम।
हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए डीसीपी जूनी इंदौर जोन व इंदौर नगर निगम को आदेशित किया कि वे बावड़ी हादसे को एक वर्ष पूरा होने के पहले याने 30 मार्च 2024 के पूर्व मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट के अनुरूप दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करे।
पुराने जल स्रोत पुनर्जीवित करें।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता मनीष यादव के तर्कों से सहमत होकर हादसे के बाद प्राकृतिक जल स्रोत कुएं, बावड़ियों को नगर निगम द्वारा बंद किए जाने की कवायद को गलत ठहराते हुए आदेश दिया कि कुएं – बावड़ियों को पुनर्जीवित कर उनका उचित रखरखाव किया जाए। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की डबल बेंच ने इस काम में शहर की स्वयंसेवी और सामाजिक संस्थाओं की मदद लेने को भी कहा।
मुआवजे के लिए उचित फोरम पर करें मांग।
हाई कोर्ट ने याचिका में बावड़ी हादसे के पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग को लेकर अपने आदेश में कहा कि उसके लिए पीड़ित पक्ष स्वयं उचित फोरम पर अपनी मांग रख सकते हैं।
30 मार्च 2023 को हुआ था हादसा।
बता दें कि बीते वर्ष 30 मार्च को रामनवमी पर इंदौर के सिंधी कॉलोनी क्षेत्र में बेलेश्वर महादेव मंदिर परिसर स्थित बावड़ी की स्लैब धंस जाने से उसपर बैठे 50 से अधिक लोग बावड़ी में जा गिरे थे। राहत और बचाव अभियान में 18 लोगों को बचा लिया गया था जबकि 36 लोगों की लाशें ही निकाली जा सकी थीं। इस दर्दनाक हादसे के दोषियों को दंडित करने और पीड़ितों को मुआवजे की मांग को लेकर पूर्व पार्षद महेश गर्ग व कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने अधिवक्ता मनीष यादव और अदिति यादव के माध्यम से दो अलग – अलग याचिकाएं हाई कोर्ट इंदौर में दायर की थीं। हाई कोर्ट ने बीती 10 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे 19 जनवरी को जारी किया गया।