भगवान श्री वेंकटेश की भक्ति भाव से की गई पूजा – अर्चना

  
Last Updated:  August 3, 2023 " 06:19 pm"

भक्तों ने भगवान को झूला झुलाया, भजनों की दी गई प्रस्तुति।

इंदौर : श्री पद्मावती वेंकटेश देवस्थान में जब भगवान वेंकटेश, श्रीदेवी भूदेवी संग चल मूर्ति रुप में फूलों में श्रंगारित हो परिसर स्थित हॉल में विराजे तब श्रद्धालुओं के वेंकटरमना गोविंदा के जय घोष से हाल गुंजायमान हो गया। स्वामी श्री केशवाचार्य महाराज( बालक स्वामी) के पावन सान्निध्य में विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना प्रारंभ हुई जिसमें सैकड़ों जोड़ों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः, ऊँ केशवाय नमः, ऊँ वासुदेवाय नमः जैसे भगवान विष्णु के कई नामों से तुलसी पत्तों एवं गुलाब के पुष्पों से भगवान की अर्चना की गई जिसमें ॐ विष्णवे नमः का संपुट भी लगाया गया। पुजारी भरत राम हुरकट, बलराम समदानी, अनिता मंत्री, ऋषि कश्यप, पदमा सोनी, सरला हेड़ा, प्रदीप साबू , पूजा – अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं को लगातार तुलसी पत्र एवं गुलाब के पुष्प वितरित करते रहे। लगभग 2 घंटे चली इस अर्चना के अंत में भगवान की आरती की गई। ब्राह्मणों की सेवा का लाभ भी श्रद्धालुओं ने उठाया उन्हें भोजन प्रसादी ग्रहण कराकर श्रद्धा पूर्वक दान दक्षिणा देकर विदा किया।

समर्पण भाव से की गई अर्चना फलीभूत होती है।

मंदिर समिति के हरिकिशन साबू, मनोज सोनी एवं नितिन तापड़िया ने बताया कि प्रवचन माला के दूसरे दिन बालक स्वामी महाराज ने श्रद्धालुओं को अपने आशीर्वचन में कहा कि भगवान का स्वरूप इतना विराट है कि हम तुच्छ भक्त ना तो उनके कमर तक पहुंचकर करधनी पहना सकते हैं और न ही गले तक पहुंच कर हार पहना सकते हैं। तो इस पावन पुरुषोत्तम मास में उनके चरणों तक तो पहुंचा ही जा सकता है इसी भावना को लेकर हम भक्त भगवान के चरणों में तुलसी दल, पुष्प अर्पित करते हैं, ताकि उसकी हल्की सी ठोकर से ही भगवान की निगाहें हम पर पड़ जाएं और हम धन्य हो जाएं व हमारे सभी प्रकार के पापों का परिमार्जन हो जाए।

दुर्योधन ने अपनी संपत्ति बचाने के लिए भगवान को छप्पन भोग अर्पित करना चाहे लेकिन भगवान ने उसे स्वीकारा नहीं, जब अर्जुन ने पूछा कि आपको रिझाने का सबसे अच्छा उपाय क्या है तो भगवान ने कहा जो भी मुझे पत्र, पुष्प, फल एवं जल श्रद्धा पूर्वक समर्पित करता है,मैं उसके दरवाजे पर द्वारपाल बन कर खड़ा रहता हूं। तो हमें भी इस पावन पुरुषोत्तम मास में अपनी वासनाओं अपनी इंद्रियों के फल भगवान को समर्पित करना चाहिए ताकि हमारा जीवन निर्मल बन सके। उन्होंने कहा कि हर 3 वर्ष के बाद आने वाला यह पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु को अति प्रिय है।

सायंकाल के सत्र में झूला उत्सव हुआ।

सायंकाल सत्र में भगवान के चल विग्रहों को झूले में विराजित कर अनुपम श्रंगार किया गया। झूला आधारित भजनों पर भक्तों ने हौले- हौले भगवान को झूला झुलाया। इस अवसर पर राम किशन साबू, गिरीश कश्यप, राजा लड्ढा आदि मौजूद थे।

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