भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए वेदों का आश्रय लेना होगा – स्वामी वासुदेवाचार्य

  
Last Updated:  December 16, 2022 " 10:48 pm"

राजमोहल्ला स्थित वैष्णव विद्यालय परिसर में तीन दिवसीय अ.भा वेद महोत्सव का शुभारंभ।

मनोरथ पूर्ति यज्ञ एवं चारों वेदों सहित दुर्लभ यज्ञ पात्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

इंदौर : वेदों और ऋषियों की परम्परा से ही देश समृद्ध और संगठित होगा। समूचे विश्व को शांति और सदभाव जैसे रास्ते पर आगे बढ़ाने की जरूरत है, जो शास्त्रों में वर्णित ज्ञान और वेदों के बताए रास्ते पर चलकर ही पूरी होगी। विश्व में मानवता की स्थिति गिरावट की ओर बढ़ रही है। अनेक तरह के बम और परमाणु बम बन चुके हैं, जो पूरे विश्व को 13 हजार बार नष्ट कर सकते हैँ। विश्व में एक बार फिर भारत को विश्व गुरू के रूप में स्थापित करने और भारतीय संस्कृति का परचम फहराने के लिए हमारे शास्त्रों और वेदों का आश्रय लेना होगा। अपने सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन के लिए देश की नई पीढ़ी को वैदिक ज्ञान भी देने की जरूरत है। इस तरह के वेद महोत्सव निश्चित ही हमारी गौरवशाली परंपराओं को पुनर्स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

ये दिव्य विचार जगदगुरू रामानुजाचार्य, विद्याभास्कर स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज (अयोध्या) ने व्यक्त किए।
वे शुक्रवार सुबह राजमोहल्ला स्थित वैष्णव विद्यालय परिसर में तीन दिवसीय अखिल भारतीय वेद महोत्सव के शुभारंभ समारोह में अपने आशीर्वचन दे रहे थे।

15 सौ से अधिक वेदपाठी बटुक कर रहे शिरकत।

महोत्सव में देश के जाने – माने 300 से अधिक विद्वान एवं आसपास के संस्कृत विद्यालयों के लगभग 1500 वेदपाठी बटुकों सहित करीब 3 हजार लोग उपस्थित थे। पद्मभूषण गोकुलोत्सव महाराज के सान्निध्य एवं काशी के प्रो. भगवत शरण शुक्ल के मुख्य आतिथ्य में स्वामी वासुदेवाचार्य के साथ आयोजन समिति के संरक्षक सांसद शंकर लालवानी, स्वागताध्यक्ष विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष पुरुषोत्तमदास पसारी, महामंत्री राधेश्याम शर्मा गुरूजी, समन्वयक पं. गणेश शास्त्री, विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग, पवन सिंघानिया आदि ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के स्वस्ति वाचन के बीच महोत्सव का शुभारंभ किया। इसके पूर्व सुबह देशभर से आए वेद विद्वानों ने चतुर्वेद पारायण एवं सस्वर भद्रसूक्त के साथ ऋग्वेद पारायण भी किया, जिसकी मंगल ध्वनि समूचे क्षेत्र में गुंजायमान होती रही।

प्रारंभ में सांसद शंकर लालवानी ने महोत्सव की रूपरेखा बताई और करतल ध्वनि के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस महोत्सव के लिए भेजे गए शुभकामना संदेश की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, शिक्षा मंत्री मोहन यादव एवं केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी अपने संदेश भेजे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा भेजे गए संदेश का वाचन पुरुषोत्तमदास पसारी ने किया।

स्कूल – कॉलेजों में दी जाए वेदों की शिक्षा।

महोत्सव के स्वागताध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने सभी संतों एवं विद्वानों का आत्मीय स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन की सार्थकता यही होगी कि हमारी नई पीढ़ी को भी सरल भाषा में वेदों की शिक्षा प्रदान की जाए। हमारे स्कूलों और कालेजों में भी वेदों को पढ़ाने की व्यवस्था होना चाहिए। हमें देखना होगा कि वेद जैसी हमारी प्राचीन धरोहर जन-जन तक कैसे पहुंचे। संचालन प्रो. मंगल मिश्र ने किया और आभार राधेश्याम शर्मा गुरूजी ने माना।

संत-विद्वानों का सम्मान विनोद अग्रवाल, पुरुषोत्तमदास पसारी, विष्णु बिंदल, दिनेश मित्तल, पवन सिंघानिया, टीकमचंद गर्ग, देवेन्द्र मुछाल आदि ने किया।

वेदों का ज्ञान समाज को परिष्कृत करता है।

श्रीमद वल्लभ संप्रदाय के जगदगुरू पद्मभूषण गोस्वामी गोकुलोत्सव महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि वेद ध्वनि के स्पंदन से वातावरण शुद्ध होता है। वेदों का ज्ञान समाज को परिष्कृत बनाता है। समाज में जितने भी श्रेष्ठ संस्कार हैं, वे हमारे ऋषि-मुनियों की देन है। संस्कारों की सुगंध से ही आज हमारा समाज सुरभित हो रहा है। वेदों का श्रवण सावधानी से और पाठ श्रद्धा से होना चाहिए, क्योंकि वेद भगवान के ही अवतार माने गए हैं। महोत्सव में उपस्थित संस्कृत के वेदपाठी बटुकों को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि जहां कहीं माता-पिता, गुरू और ब्राह्मण मिले, उन्हें नमस्कार अवश्य करें। उनसे दृष्टि बचाकर निकलने का प्रयास न करें, क्योंकि उनकी एक दृष्टि ही हमारे जीवन को बदल सकती है। अपने समय को सेवा का सेतु बनाएं। आधुनिक पढ़ाई बिगाड़ नहीं रही है तो सुधार भी नहीं रही है। ब्राह्मण का एक आशीर्वाद जीवन में कभी भी काम आ सकता है। वेद का उपयोग केवल कर्मकांड में ही नहीं बल्कि हमारी समूची जीवन शैली को संवारता है।

वैदिक ज्ञान से विश्व गुरु बनेगा भारत।

अपने आशीर्वचन में जगदगुरू रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद संसद में हिन्दी का प्रयोग बढ़ गया है। अंग्रेजी बोलने वाले भी अब टूटी-फूटी हिन्दी में बोलने लगे हैं। मोदीजी ने अपने प्रभाव से देश-दुनिया में बहुत कुछ बदला है। उन्होंने विश्व में भारत को नई प्रतिष्ठा दिलवाई है। अभिनेता शाहरूख खान की नई फिल्म ‘पठान’ के बारे में उन्होंने कहा कि वैष्णोदेवी के दर्शन कर आने या माथे पर तिलक-त्रिपुंड लगा लेने से ही हमारी संस्कृति को दूषित ढंग से पेश करने की प्रवृत्ति को माफ नहीं किया जा सकता। नेता हो या अभिनेता हिन्दू देवी-देवताओं के दर्शन करने लगे हैं तो यह भी मोदीजी का ही प्रभाव है। हमारे कुछ धारावाहिकों के कारण यह बदलाव जरूर आया है कि अब लोग जिंस पेंट की जगह भारतीय पहनावे को महत्व देने लगे हैं। वेद पढ़ने वाले और वैदिक ज्ञान से परिपूर्ण विद्वानों के सहभाग से ही भारत पुनः विश्व गुरू बन पाएगा, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि काशी के विद्वान प्रो. भगवत शरण शुक्ल ने कहा कि हमारे वेदों में वर्ण व्यवस्था के प्रति समान रूप से स्नेह और सम्मान की भावना का संदेश दिया है। इतिहास देखें तो प्रत्येक युग में प्रत्येक वर्ण का प्रभुत्व रहा है। सनातन धर्म को कमजोर करने वाले लोगों को भी समझने और समझाने की जरूरत है। आज आधुनिक समाज और परिवार विघटित हो रहे हैं। विश्वास है कि वेदों के माध्यम से हम इन सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकेंगे। हमारे वेद चाहते हैं कि पुत्र पिता के अनुसार, पत्नी पति के अनुसार चलें और भाई-भाई अथवा बहन-बहन के बीच किसी भी तरह का विद्वेश नहीं रहे। हमारे वेद प्रत्येक क्षण हमारा मार्गदर्शन करने वाले हैं।

द्वितीय सत्र में दोपहर 3 बजे से उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक वि.वि. के प्रो. मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी, काशी के प्रो. भगवत शरण शुक्ल, राजेश्वर मिश्र एवं प्रो. तुलसीदास परौहा ने ऋग्वेद के परिचय एवं विशेषताओं पर अपने प्रभावी विचार व्यक्त किए।

यज्ञशाला में परिक्रमा शुरू, प्रदर्शनी भी।

संध्या को बाबा सत्यनारायण मौर्य ने वेदों पर आधारित भारत माता की आरती की। अदभुत मंचीय प्रस्तुति देकर उन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महोत्सव स्थल पर शुक्रवार से तीन दिवसीय मनोरथपूर्ति यज्ञ भी शुरू हो गया है। यज्ञशाला की परिक्रमा करने अनेक दिव्यांग, दृष्टिहीन मूक-बधिर एवं अन्य समस्याग्रस्त लोग पहुंचे। प्रदर्शनी में उज्जैन के सांदीपनि आश्रम के सहयोग से दुर्लभ यज्ञ कुंडों एवं पात्रों तथा चारों वेदों के दर्शन भी आम लोगों को हो रहे हैं। यहां आने वाले लोगों को रक्षा सूत्र एवं अभिमंत्रित रूद्राक्ष भी दिए जाएंगे।

वेद महोत्सव में दूसरे दिन ये होंगे कार्यक्रम।

शनिवार 17 दिसम्बर को प्रातः 8 बजे सस्वर पुरुषसूक्त के पाठ के बाद 8.30 से 9.30 बजे तक मैसूर के आचार्य पं. के. संतोष कुमार, मैसूर के ही पं. अवधानुल चिन्मयदत्ता घनपाठी एवं बैंगलुरू के पं. चैतन्य जोशी द्वारा ऋग्वेद पारायण किया जाएगा। पारायण में बांसवाड़ा के पं. इंद्रशंकर झा एवं पं. हरशदलाल नागर भी शामिल होंगे। इसके पश्चात सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक शुक्ल यजुर्वेद का पारायण त्रयंबकेश्वर के शैलेन्द्र कांकड़े, ब्रह्मचारी समर्थ एवं अद्वेत तथा त्रयंबकेश्वर के पं. खेमराज द्वारा किया जाएगा। इसमें वाराणसी के आचार्य श्रीनिवास पौराणिक एवं मोहनलाल चैतन्य मुखरिया, श्रीकृष्णमुरारी और तिरुपति के शबरी शरण के साथ विजयवाड़ा के जी.कृष्ण मोहन एवं अनंत सयाना चार्यालु जैसे प्रख्यात विद्वान पारायण करेंगे। सुबह 10.30 से 11.30 बजे तक सामवेद का पारायण मैसूर के एच.एन. श्रोती, श्रीकोहिर चैतन्यकुमार श्रोती एवं वि. कृष्ण शर्मा, दिल्ली के कुलदीप चौबे एवं भीलवाड़ा के ईश्वरलाल, विशाखापट्टनम के ए. मणिकंठ शर्मा करेंगे। सुबह 11.30 से 12.30 बजे तक विशाखापट्टनम के अशोक कुमार मिश्रा , गोकर्ण के श्रीधर अड़ी, तिरुपति के श्रीकृष्ण तेजा शर्मा, विजयवाड़ा के के.सूर्यनारायण शर्मा, प्रयागराज के ओमप्रकाश एवं दिल्ली के देवेन्द्र तिवारी अथर्ववेद का पारायण करेंगे। दोपहर में 2.30 से 5.30 बजे तक इंदौर के डॉ. विनायक पांडे, वाराणसी के प्रो. शीतलाप्रसाद पांडे एवं काशी के प्रो. पातंजल मिश्र के व्याख्यान होंगे, जिनमें वे यजुर्वेद का परिचय एवं विशेषताएं तथा सामवेद का भी परिचय एवं विशेषताएं बताएंगे।

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